
भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को अच्छी बढ़त के साथ बंद हुआ और बाजार ने लगातार चार दिन की गिरावट के बाद मजबूती दिखाई। निवेशकों को रुपए की स्थिर स्थिति, विदेशी बाजारों से मिले अच्छे संकेत और जापान के केंद्रीय बैंक के फैसले से भरोसा मिला। इन कारणों से बाजार में खरीदारी बढ़ी और घरेलू बाजार के दोनों प्रमुख सूचकांक एनएसई और बीएसई ऊपरी स्तर पर बंद हुए।
पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन, 19 दिसंबर को सेंसेक्स 448 अंकों की शानदार बढ़त के साथ 84,929.36 पर बंद हुआ, तो वहीं निफ्टी 151 अंक चढ़कर 25,966.40 के स्तर पर पहुंच गया।
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इस दौरान बड़े शेयरों के मुकाबले छोटे और मझोले कंपनियों के शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया। बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 1.26 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स 1.25 प्रतिशत ऊपर बंद हुआ। इससे यह साफ है कि निवेशकों का भरोसा धीरे-धीरे वापस आ रहा है और बाजार में सकारात्मक माहौल बन रहा है।
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वहीं मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर निफ्टी ऊपर जाता है तो तत्काल रेजिस्टेंस 26,000 पर है। इसके बाद 26,200 और 26,400 के स्तर भी महत्वपूर्ण होंगे। वहीं अगर बाजार नीचे आता है तो 25,900 और 25,800 के स्तर पर निफ्टी को सपोर्ट मिल सकता है। अगर निफ्टी 25,700 से नीचे गिरता है तो बाजार में और बिकवाली देखने को मिल सकती है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार अभी गिरावट पर खरीदारी की जा सकती है, लेकिन उतार-चढ़ाव को देखते हुए सख्त स्टॉप लॉस बनाए रखना जरूरी है।
आने वाले हफ्ते में निवेशकों की नजर देश के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर रहेगी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा नवंबर 2025 का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का डेटा 29 दिसंबर को जारी किया जाएगा, जिससे यह पता चलेगा कि देश के उद्योग और फैक्ट्रियां कैसा प्रदर्शन कर रही हैं।
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हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने वैश्विक व्यापार दबावों में वृद्धि के बीच अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई बड़े सुधार किए हैं। इनमें निजी कंपनियों को न्यूक्लियर क्षेत्र में आने की अनुमति देना, बीमा कंपनियों में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की इजाजत देना और शेयर बाजार के नियमों के लिए एक नया कानून लाने का प्रस्ताव शामिल है। इन फैसलों से निवेश का माहौल बेहतर होने की उम्मीद है।
आने वाले दिनों में भारतीय रुपए की स्थिति भी शेयर बाजार के लिए महत्वपूर्ण रहेगी। रुपए में होने वाला उतार-चढ़ाव बाजार की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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