भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को फरवरी में अगली नीति समीक्षा में प्रमुख दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती के साथ इसमें कटौती चक्र शुरू करना चाहिए।
डॉयचे बैंक (डीबी) के विश्लेषकों ने मंगलवार को कहा कि ब्याज दरों में कटौती में देरी से वृद्धि पर और अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यदि कार्रवाई में देरी की गई तो आरबीआई के भी पिछड़ जाने का खतरा है।
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उन्होंने कहा, ‘‘ हमें उम्मीद है कि आरबीआई फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा, जिससे पहली छमाही में रेपो दर छह प्रतिशत पर आ जाएगी।’’
विश्लेषकों ने कहा कि भारत में मौद्रिक संचरण कम से कम तीन तिमाहियों के अंतराल के साथ काम करता है। इसलिए आरबीआई द्वारा फरवरी से दरों में कटौती शुरू करने के लिए यह सही समय लगता है।
उन्होंने ब्याज दरों में कटौती में देरी न करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘ हमारा मानना है कि जितनी जल्दी ब्याज दरों में कटौती की जाएगी, वृद्धि पर उतना ही कम असर पड़ेगा। ’’
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गौरतलब है कि आरबीआई ने पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व में पिछली 11 नीतिगत समीक्षाओं के दौरान ब्याज दरों को स्थिर रखा है। हालांकि वृद्धि दर कई तिमाहियों के निचले स्तर पर पहुंच गई है और अब सभी की निगाहें फरवरी में उनके उत्तराधिकारी संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में होने वाली पहली ब्याज दर समीक्षा पर टिकी हैं।
डॉयचे बैंक...कंपनियों, सरकारों, संस्थागत निवेशकों, छोटे तथा मझोले आकार के व्यवसायों और निजी व्यक्तियों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है।
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