वर्ल्ड बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट की आशंका जताई है। वर्ल्ड बैंक ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.6 फीसदी की गिरावट दर्ज हो सकती है। इससे पहले रेटिंग एजेंसी फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 फीसदी, गोल्डमैन ने 14.8 फीसदी और एशियन डेवलपमेंट बैंक ने 9 फीसदी अनुमानित गिरावट की बात कही थी।
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वर्ल्ड बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हैंस टिमर ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था अब तक की सबसे बुरी हालत में है और यह 1991 तक चले बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस से भी ज्यादा गंभीर स्थिति है। वर्ल्ड बैंक विशेषज्ञ ने अर्थव्यवस्था में इस अनुमानित गिरावट के पीछे कोरोना संकट के चलते भारत में शुरुआत में लगाए गए सख्त लॉकडाउन को सबसे बड़ा कारण बताया है। इसके अलावा भारत में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामले भी एक अहम कारण हैं।
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वर्ल्ड बैंक ने कहा कोरोना वायरस का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर उस समय पड़ा जब पहले से देश की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही थी। बैंक ने कहा कि इसके बाद सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बेहद ही कड़ा लॉकडाउन लगा दिया। जिससे लाखों मजदूरों और कामगारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया। बैंक ने कहा कि कोरोना वायरस संकट ने शहरी क्षेत्र में गरीबी को बढ़ाया है।
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वर्ल्ड बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक भारत की अनुमानित विकास दर 5.4 पर्सेंट होगी। मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि महामारी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत को अब संघीय नीतियों और योजनाओं के बारे में सोचना होगा, खासकर अनौपचारिक सेक्टर के लिए। वर्ल्ड बैंक ने पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र से भविष्य के लिए पॉलिसी बनाने का अनुरोध किया है।
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