विधानसभा चुनाव 2023

UP Election 2022: बिजनौर में पोलिंग बूथों के बाहर दिखी भीड़ ने बिगाड़ा राजनीतिक पंडितों का गणित?

मुस्लिम समुदाय के बूथों पर भारी भीड़ जुटी हुई है। चुनाव से पहले लगाए गए विभिन्न कयासों को धत्ता बताते हुए अब वोटरों में विभाजन का गणित फेल दिख रहा है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ 

बिजनौर में मतदान के दौरान भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।। आज सुबह से ही भारी संख्या में वोटर मतदान केंद्र में जुट रहे हैं। खासकर मुस्लिम समुदाय के बूथों पर भारी भीड़ जुटी हुई है। चुनाव से पहले लगाए गए विभिन्न कयासों को धत्ता बताते हुए अब वोटरों में विभाजन का गणित फेल दिख रहा है। वोटरों का उत्साह बताता है कि वो सरकार बदलने अथवा बनाये रखने में रुचि दिखा रहे हैं। बिजनौर की नाहिद अनवर ने बताया वो सुबह से वोट डालने की प्रतीक्षा कर रही है। उनकी एक छोटी बच्ची है मगर बूथ पर भारी भीड़ जमा है वो इंतजार कर रही है कि कब कम भीड़ हो वो वोट डालकर आएं।

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फोटो: आस मोहम्मद कैफ

बिजनौर के मोहल्ला मिर्द्गागान के सुहैल पहली बार वोट डालकर आये है। उन्होंने बताया कि वो रोजगार चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने वोट दिया है। बिजनौर जनपद में कुल 8 विधानसभा सीट है। बिजनौर शहर से भाजपा विधायक सूची चौधरी और सपा गठबंधन के उम्मीदवार डॉक्टर नीरज में चुनाव सिमटता दिख रहा है। नजीबाबाद में भी वोटिंग की गति काफी अच्छी है। यहां भाजपा के कुँवर भारतेंदु सिंह और गठबंधन के तस्लीम अहमद में टक्कर दिख रही है। दोनों पक्षो में उत्साह से वोट पड़ रही है। चाँदपुर विधानसभा में किसानों ने काफी उत्साह से वोट किया है। नहटौर और धामपुर पर मतदान अपेक्षाकृत धीमा है। चाँदपुर के सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि वो चुनाव में किसानों के हित के लिए वोट कर रहे हैं।

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फोटो: आस मोहम्मद कैफ

नहटौर और नगीना सीट पर बूथ पर मुस्लिम महिलाओं की काफी भीड़ जुटी हुई है। यह दोनों विधानसभा सुरक्षित है। नगीना की शमा प्रवीन ने बताया कि वो सरकार बदलने के लिए वोट दे रही है। अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीटों पर मुस्लिम महिलाओं का बढ़कर वोट करना एक बड़ा संदेश देता है। बिजनौर की बढ़ापुर विधानसभा में मतदान सबसे कम हो रहा है। इसकी वजह यह है कि इस विधानसभा के अधिकतम बूथ ग्रामीण इलाकों में है। इसी विधानसभा के गांव मनियावाला के धीरेन्द्र कश्यप ने वो मछली पालन का काम करते हैं पहले वो ही सिर्फ तालाब का ठेका ले सकते हैं। अब ऐसा नहीं होता है। उनका रोजगार छीन लिया गया है। वो अपने रोजगार के लिए वोट कर रहे हैं।

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