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सिनेजीवन: चिरंजीवी बोले- धनुष को मिले बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जरूर और सोनम कपूर ने दिखाई नए लुक की झलक

चिरंजीवी ने कहा, "देवा का किरदार धनुष के अलावा कोई और नहीं निभा सकता। फिल्म देखते समय मैं धनुष को पहचान ही नहीं पाया।" सोनम ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह हेयरकट करवाती नजर आईं।

फोटो: सोशम मीडिया
फोटो: सोशम मीडिया 

फिल्म 'कुबेर' के लिए धनुष को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जरूर मिलना चाहिए : चिरंजीवी

तेलुगु मेगास्टार चिरंजीवी ने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'कुबेर' में देवा के किरदार को लेकर अभिनेता धनुष की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा कि इस किरदार को सिर्फ धनुष ही निभा सकते थे। उनकी एक्टिंग इतनी शानदार है कि उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जरूर मिलना चाहिए।

रविवार को फिल्म 'कुबेर' की सक्सेस पार्टी आयोजित की गई। इसमें चिरंजीवी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। उन्होंने फिल्म की पूरी टीम की खूब तारीफ की और कहा कि फिल्म ने सिनेमाघरों में शानदार शुरुआत की है और यह जल्दी ही सुपरहिट बनने की राह पर है।

चिरंजीवी ने कहा, "देवा का किरदार धनुष के अलावा कोई और नहीं निभा सकता। फिल्म देखते समय मैं धनुष को पहचान ही नहीं पाया। वह अपने किरदार में पूरी तरह डूबे हुए थे। मुझे यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अनुभव की तरह लगी। ऐसा लगा जैसे सच में सब कुछ हमारे सामने हो रहा हो।"

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सोनम कपूर ने दान किए अपने बाल, दिखाई नए लुक की झलक

एक्ट्रेस और फैशन आइकन सोनम कपूर ने अपने लंबे काले बालों को काटकर 12 इंच चैरिटी के लिए दान किए। सोनम ने सोशल मीडिया पर अपने नए लुक की झलक दिखाई।

सोनम ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह हेयरकट करवाती नजर आईं। वीडियो में उन्होंने अपने नए लुक को दिखाया और अपने घने, लंबे बालों का श्रेय जेनेटिक्स, यानी अपने पिता अनिल कपूर को दिया।

वीडियो में सोनम कहती नजर आईं, “हेलो दोस्तों, मैंने अपने 12 इंच बाल काटने का फैसला किया। यह वीडियो में ज्यादा नहीं लग रहा, लेकिन यह एक फुट बाल है। मेरे बाल जेनेटिक्स वजह से घने और काले हैं। यानी पिता अनिल कपूर की वजह से बहुत लंबे और घने हैं।”

 उन्होंने आगे बताया, “मुझे लगा कि अब समय है कि मैं अपने बाल काटकर चैरिटी के लिए दान कर दूं। मेरे हेयर स्टाइलिस्ट पीट, पिछले कुछ सालों से मेरे बालों की देखभाल कर रहे हैं, उन्होंने मेरे साथ मिलकर यह फैसला लिया। मेरे बाल अब भी लंबे हैं, लेकिन मैं गर्मियों के लिए फ्रेश महसूस कर रही हूं। लव यू फ्रेंड्स!”

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'मालिक' के लिए राजकुमार राव ने तीन महीने तक बढ़ाई दाढ़ी : निर्देशक पुलकित

एक्टर राजकुमार राव अपनी आने वाली फिल्म 'मालिक' की तैयारी में जुटे हुए हैं। फिल्म में अपने किरदार को मजबूत बनाने के लिए अभिनेता ने 80 दिन से भी ज्यादा समय तक दाढ़ी बढ़ाई, ताकि उनका लुक स्क्रीन पर दमदार लगे।

 फिल्म के निर्देशक पुलकित ने बताया कि उन्होंने ऐसा इसलिए करवाया क्योंकि वह चाहते थे कि राजकुमार राव के किरदार में एक दमदार और ताकतवर अहसास नजर आए। इस तरह का लुक फिल्म में उनके किरदार को असरदार और असली बनाएगा।

 पुलकित ने कहा, "हम चाहते थे कि राजकुमार राव के किरदार में एक ऐसी ताकत दिखे जो अंदर से आए, कुछ ऐसा जो सच्चा, थोड़ा रफ और बिना बनावट के लगे। राजकुमार ने इस किरदार के लिए खुद को शारीरिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह से झोंक दिया। उन्होंने करीब तीन महीने तक दाढ़ी बढ़ाई, ताकि उनका किरदार वास्तविक लगे।"

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एक्टिंग दोहराव और अभ्यास पर टिकी है : विनय पाठक

मशहूर अभिनेता विनय पाठक का मानना है कि एक्टिंग की कला दोहराव और अभ्यास पर निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि अभ्यास किसी किरदार को जीवंत करने में अहम भूमिका निभाते हैं और यह कई बार रिसर्च से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में विनय ने बताया कि हर अभिनेता के काम करने का अपना अंदाज, अपनी कार्यशैली होती है, लेकिन अभ्यास सभी के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा, "जब हम पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ते हैं, तो दिमाग में किरदार की एक रूपरेखा बन जाती है। आप भावनात्मक रूप से उससे जुड़ जाते हैं।"

विनय पाठक का मानना है कि अगर एक्टर्स अपने स्क्रिप्ट को पढ़ लें तो उसमें ज्यादा रिसर्च की जरुरत नहीं पड़ती। उन्होंने बताया, "अगर आप स्क्रिप्ट को 9 बार पढ़ लें, तो ज्यादा रिसर्च की जरूरत नहीं पड़ती। अभिनय दोहराव और अभ्यास का शिल्प है। हर कलाकार की अपनी प्रक्रिया होती है, लेकिन इसे सरल रखना चाहिए।"

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पुराने जमाने में तकनीक नहीं थी, फिर भी रिश्ते मजबूत थे: पंकज त्रिपाठी

 मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने पुराने जमाने के प्यार के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पहले का प्यार सीधा-सादा, धैर्य से भरा और भरोसे पर टिका होता था। उन्होंने अपनी यादों को ताजा करते हुए बताया कि जब वह और उनकी पत्नी मृदुला एक-दूसरे से बात करते थे, तब मोबाइल नहीं हुआ करते थे। वह हर दिन कैंटीन में बैठ लैंडलाइन फोन पर मृदुला के फोन का इंतजार करते थे। उस समय का प्यार इंतजार और भरोसे से चलता था और सच्चा होता था।

जब पंकज त्रिपाठी से पूछा गया कि एक सफल शादी और रिश्ते की कुंजी क्या है, तो उन्होंने आईएएनएस को बताया, ''हमारे समय में ज्यादा तकनीक नहीं थी। हमारे पास मोबाइल फोन नहीं होते थे। हर किसी के हाथ में तकनीक नहीं थी। जब हम घर से बाहर निकलते थे, तो हमारे लिए तकनीक बस यही होती थी कि हम पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बैठते थे।''

उन्होंने कहा कि उस समय तकनीक का मतलब ऐसी चीजों से था जिन पर हम चढ़कर सफर करते थे, जैसे ट्रेन, बस, टेंपो, ऑटो या बाइक।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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