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बीजेपी को सत्ता से बाहर करना मकसद, बसपा के साथ सीटों का बंटवारा कोई मुद्दा नहींः अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने साफ संकेत दिए हैं कि बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए उनकी पार्टी बीएसपी को ज्यादा सीटें देने से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे से ज्यादा देश जरूरी है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव

हाल में उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर एसपी-बीएसपी गठबंधन को मिली सफलता के बाद उत्तर प्रदेश से नए राजनीतिक समीकरणों के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस ओर संकेत देते हुए साफ कहा है कि एसपी-बीएसपी का गठबंधन बीजेपी को उत्तर प्रदेश से ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति से भी बाहर कर देगा। अखिलेश यादव ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि उत्तर प्रदेश में एसपी और बीएसपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई विवाद नहीं खड़ा होगा।

अखिलेश ने साफ तौर पर कहा कि बीजेपी को हराने के उद्देश्य से विपक्षी गठबंधन को प्रभावी बनाने के लिएदोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। उन्होंने साफ संकेत दिए कि उनकी पार्टी गठबंधन और विपक्षी एकता को मजबूत बनाने के लिए सहयोगी दल को अतिरिक्त सीटें देने के लिए भी तैयार है। दो दिन पहले न्यूज वेबसाइट ‘द वायर’ को दिए इंटरव्यू में भी अखिलेश ने कहा था कि आज जब बीजेपी के लोग जाति और धर्म के नाम पर जहर फैला रहे हैं तो ऐसे में ये किसी एक व्यक्ति का सवाल नहीं रह जाता है।

उपचुनावों में एसपी-बीएसपी गठबंधन को मिली जीत को एक तरह से प्रदेश की जनता की स्वीकृति के तौर पर देखा जा रहा है। अखिलेश यादव ने नए राजनीतिक समीकरणों को लेकर खुला संकेत देते हुए कहा कि एसपी-बीएसपी का यह गठजोड़ बीजेपी को न सिर्फ उत्तर प्रदेश से बल्कि राष्ट्रीय राजनीति से भी बाहर कर देगा। एसपी और बीएसपी के गठजोड़ को लेकर उठाए जा रहे सवालों के जवाब में एसपी प्रमुख ने कहा कि ये किसी एक पार्टी से जुड़ा सवाल नहीं है। यहां देश को बचाने का सवाल है। उन्होंने कहा, “हम ऐसी पार्टी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, जो धर्म और जाति के नाम पर उन्माद पैदा कर रही है। बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो हमारी पार्टी गठबंधन का और विस्तार करेगी। इसके लिए बीजेपी को सबसे पहले उत्तर प्रदेश में रोकना होगा।”

अखिलेश ने कहा, “वे लोग जाति के खिलाफ जाति को, मुसलमानों के खिलाफ हिंदू को लड़वा रहे हैं। उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर जहां बाबा साहब की मूर्तियां तोड़ी जा रही हैं, वहीं उनके नाम में राम जी का नाम जोड़कर उनका नाम बदलने की कोशिश की जा रही है। इससे ज्यादा बुरा क्या हो सकता है कि प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में एक दलित युवक को घोड़े की सवारी करने की वजह से मार डाला गया। अगर वास्तव में वे दलितों के कल्याण के लिए समर्पित हैं तो उन्हें शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएं।” उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सबका साथ सबका विकास का नारा दिया था, लेकिन प्रदेश में जनता की बजाय बीजेपी नेतृत्व द्वारा नियुक्त मुख्यमंत्री खुलेआम कहते हैं कि “मैं एक हिंदू हूं और मैं ईद नहीं मनाता। वह इश्वर के नाम पर शपथ लेते हैं, लेकिन अंबेडकर के लिखे संविधान का सम्मान नहीं करते हैं।”

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दलितों और यादवों के बीच दुश्मनी के सवाल पर अखिलेश यादव ने साफ तौर पर इसको खारिज कर दिया और कहा कि दोनों समुदाय एक ही समाज से आते हैं और दोनों के बीच कोई दुश्मनी नहीं है। उन्होंने कहा कि वे बीजेपी को हराने के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं।

कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल को लेकर भी अखिलेश यादव ने काफी सकारात्मक बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी के संबंध अच्छे हैं और दोनों ही पार्टियों ने 2017 का चुनाव एक साथ लड़ा था। उन्होंने उपचुनाव से पहले आरएलडी नेताओं से भी मुलाकात की बात कही। हालांकि, अखिलेश यादव ने ये साफ कर दिया कि उनका गठबंधन सिर्फ यूपी तक ही सीमित रहेगा, लेकिन उन्होंने एक संघीय मोर्चा के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कदम को लेकर भी सकारात्मक रुख दिखाया। उन्होंने कहा कि उनके यूपी दौरे पर आने पर उनसे मुलाकात कर उन्हें खुशी होगी।

लोकसभा की 80 सीटों के कारण देश की चुनावी राजनीति में उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा अहम राज्य माना जाता है। कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है। 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मिली बड़ी सफलता में सबसे ज्यादा योगदान उत्तर प्रदेश का ही रहा था।

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