केंद्रीय मंत्री एवं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान की अधिक सीट की मांग ने बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए समीकरणों को पेंचीदा बना दिया है, हालांकि सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं को समाधान जल्द निकलने की उम्मीद है।
सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के साथ ही विपक्षी महागठबंधन में भी पिछले कई दिनों से गतिरोध बना हुआ है। एनडीए में गतिरोध की एक बड़ी वजह चिराग पासवान के अपने रुख पर अडिग रहने को माना जा रहा है।
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सूत्रों का कहना है कि कई मौकों पर खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘हनुमान’ कहने वाले चिराग अधिक सीट की मांग के अपने रुख पर अडिग हैं।
केंद्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता नित्यानंद राय ने बृहस्पतिवार को चिराग से मुलाकात के बाद कहा कि सबकुछ सकारात्मक है।
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने वाले चिराग इस बार जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं। तब उन्होंने जेडी(यू) के खिलाफ अपने उम्मीवार उतारने की रणनीति अपनायी थी, जिसके चलते नीतीश कुमार की पार्टी 43 सीट पर सिमट गई थी।
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वर्ष 2020 में तत्कालीन एलजेपी ने 135 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 134 हार गए। पार्टी को 5.64 प्रतिशत मत हासिल हुआ था। हालांकि, ‘चिराग फैक्टर’ से जेडी(यू) को नुकसान पहुंचा था। मटिहानी सीट से एलजेपी के टिकट पर जीते राजकुमार सिंह बाद में जेडी(यू) में शामिल हो गए थे। बाद में एलजेपी दो धड़ो में टूट गई थी। एलजेपी (रामविलास) का नेतृत्व चिराग और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) की अगुवाई उनके चाचा पशुपति पारस कर रहे हैं।
नीतीश कुमार के साथ मतभेद के कारण 2020 में एनडीए से अलग हुए चिराग पासवान 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर राजग में लौटे और उनकी पार्टी ने पांच लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ी और सभी पर जीत दर्ज करके अपनी ताकत साबित की। अब वे विधानसभा चुनाव में 30 से 35 सीट की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
एनडीए में दलों की संख्या को देखते हुए चिराग की यह मांग मानना बीजेपी के लिए आसान नहीं है।
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सूत्रों के अनुसार, बीजेपी चिराग पासवान को 22 विधानसभा सीट के साथ राज्यसभा और विधान परिषद की एक-एक सीट देने को तैयार है।
सूत्रों का कहना है कि हाल ही में चिराग पासवान की दिल्ली में बीजेपी नेताओं धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े से मुलाकात हुई थी, जिसमें सीट बंटवारे पर चर्चा हुई, लेकिन बात नहीं बनी।
मटिहानी सीट को लेकर जेडी(यू) और एलजेपी (रामविलास) के बीच टकराव की स्थिति है। जेडी(यू) का कहना है कि यह सीट उनके मौजूदा विधायक की है, जबकि चिराग का तर्क है कि यह सीट 2020 में उनकी पार्टी के टिकट पर जीती गई थी। वहीं, मोतिहारी के गोविंदगंज सीट पर चिराग अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी के लिए मांग रहे हैं, जबकि वहां बीजेपी का वर्तमान विधायक है।
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बीते बुधवार को चिराग ने ‘एक्स’ पर एक भावनात्मक संदेश में अपने पिता रामविलास पासवान का उल्लेख करते हुए लिखा, “पापा कहा करते थे—‘‘अपराध मत करो, अपराध मत सहो। अगर जीना है तो मरना सीखो, हर कदम पर लड़ना सीखो।”
वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार मिश्र ने कहा, “यह दवाब की राजनीति है। वर्तमान परिस्थिति में चिराग एनडीए छोड़ कर कही नहीं जाने वाले हैं, उन्हें पता है कि शायद दूसरे गठबंधन में उन्हें उचित सम्मान नहीं मिले। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज मजबूत स्थिति में नहीं है।”
बीजेपी चुनाव समिति के सदस्य प्रेम रंजन पटेल ने कहा, “पार्टी के चुनाव समिति के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान चिराग पासवान के संपर्क में हैं और एक-दो दिन में कोई रास्ता निकल जाएगा।”
वहीं,लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय महासचिव सत्यानंद शर्मा ने कहा, “हमारा वोट शेयर अब आठ प्रतिशत से अधिक है। हमारे एनडीए में रहने से गठबंधन की ताकत और बढ़ेगी। सीट बंटवारे पर बातचीत जारी है और हमारे नेता जल्द ही अंतिम निर्णय लेंगे।”
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