बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले शाहाबाद क्षेत्र में भोजपुरी को राजकीय भाषा का दर्जा देने और लोक कलाकार भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की मांगें जोर पकड़ती नजर जा रही हैं।
भोजपुरी बिहार की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा मानी जाती है। इसका आधार क्षेत्र भोजपुर, रोहतास, कैमूर, बक्सर, सारण, पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान और जहानाबाद जैसे जिलों में फैला हुआ है। शाहाबाद क्षेत्र में भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर जिले शामिल हैं।
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सीपीआई (माले) लिबरेशन के लोकसभा सांसद सुधामा प्रसाद (आरा, भोजपुर) ने ‘‘पीटीआई भाषा’’ से कहा, “हम लगातार यह मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करे और भिखारी ठाकुर को भारत रत्न प्रदान करे। ठाकुर को ‘भोजपुरी के शेक्सपियर’ के रूप में जाना जाता है।”
उन्होंने कहा, “हमने इन दोनों मुद्दों को संसद में कई बार उठाया और संबंधित अधिकारियों को पत्र भी लिखा, लेकिन केंद्र और राज्य में राजग सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। चुनाव में जनता इसका जवाब देगी।”
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भिखारी ठाकुर (1887-1971) बिहार के प्रसिद्ध लोक नाटककार, अभिनेता, गायक और समाज सुधारक थे। उन्हें भोजपुरी के महानतम लेखकों में गिना जाता है। उनका जन्म 18 दिसंबर 1887 को सारण जिले के कुतुबपुर (दियारा) गांव में एक नाई परिवार में हुआ था।
प्रसाद ने कहा, “भिखारी ठाकुर ने अपने लोकनाटकों के जरिए सामाजिक कुरीतियों पर चोट की। उन्होंने भोजपुरी में समाज की समस्याओं को उठाया। उनके नाटक ‘गंगा स्नान’, ‘बिदेसिया’, ‘गबरघिचोर’, ‘बेटी बेचवा’, ‘भाई विरोध’ और ‘पिया निसाइल’ आज भी प्रासंगिक हैं।”
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इसी तरह सीपीआई (माले) लिबरेशन के बक्सर जिले के डुमरांव विधायक अजीत कुमार सिंह ने कहा, “भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर केंद्र की बीजेपी सरकार मौन क्यों है? और भिखारी ठाकुर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया जा रहा? वे इस सम्मान के सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं।”
उन्होंने कहा, “शाहाबाद क्षेत्र में आगामी विधानसभा चुनावों में भोजपुरी को राजकीय भाषा का दर्जा और भिखारी ठाकुर को भारत रत्न— मुख्य मुद्दों में शामिल रहेंगे।”
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सिंह ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकारों ने भोजपुरी भाषी लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया है। उन्होंने कहा “न तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शीर्ष नेता और न ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू)) नेता इस पर कुछ बोल रहे हैं। यह भोजपुरी भाषी मतदाताओं के साथ अन्याय है।”
भोजपुरी लोककला पर आधारित फिल्म ‘नाच भिखारी नाच’ के निर्देशक जैनेंद्र दोस्त ने कहा, “भिखारी ठाकुर ने लोककला के जरिए समाज को दिशा दी। उनके नाटकों में जनता की भाषा और भावना झलकती है। उनका नाटक ‘बिदेसिया’ आज भी देश-विदेश में लोकप्रिय है।”
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