केंद्र की बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के वादे से मुकरने पर तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के राजग से नाता तोड़ने के कुछ दिनों बाद 4 अप्रैल को दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए नायडू ने कहा, "आंध्र प्रदेश के पांच करोड़ लोग महसूस करते हैं कि बीजेपी सरकार हमारी भावनाओं से खेल रही है।" उन्होंने कहा कि उन्होंने एनडीए सरकार के आखिरी बजट तक इंतजार किया और इसके बाद बीजेपी से संबंध तोड़ लिया। बीजेपी आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी। नायडू ने कहा कि सरकार उनसे कहती रही कि 14वें वित्त आयोग की वजह से वह राज्य को विशेष दर्जा नहीं देने जा रही है। उन्होंने कहा, "वित्त आयोग के चेयरमैन और सदस्य ने इस बात से इनकार किया है और कहा कि उनका अधिकार महज राज्य व केंद्र को नियम के अनुसार धन देना है।"
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नायडू ने कहा, वे मुझे दोष दे रहे हैं, कह रहे हैं कि हम धन देने को तैयार हैं, लेकिन आप लेने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने 14वें वित्त आयोग के बावजूद 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया है। फिर आंध्र प्रदेश को क्यों नहीं?" नायडू ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि यदि वह मुद्दे को हल कर सकते हैं तो 'हम राजग में बने रहेंगे' और इसके बाद ही उन्होंने संबंधों को तोड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने बीजेपी से गठबंधन इसलिए किया क्योंकि राज्य को केंद्र के सहयोग की जरूरत थी। नायडू ने कहा कि वह बीते चार सालों में प्रधानमंत्री व उनके मंत्रियों से मिलने 29 बार दिल्ली आए।लेकिन 29 मुलाकातों के बाद कुछ नहीं हुआ। उन्होंने आंध्र प्रदेश विभाजन अधिनियम की मुख्य बातों को नहीं लागू किया।
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वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने लगातार संसद को स्थगित किए जाने और आंध्र समते अन्य कई मुद्दों पर संसद में चर्चा नहीं होने को लेकर केंद्र सरकार की मंसा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के बंटवारे के समय उस वक्त की सरकार ने जो स्पेशल स्टेटस का वादा किया था, उसमें विपक्ष उसके साथ थी, जो आज सत्ता में है। हम स्पेशल स्टेटस की बात करते हैं। इसको लेकर आंध्र प्रदेश से लेकर सदन में वे लोग आंदोलन कर रहे हैं। इस पर चर्चा होनी चाहिए।
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गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम सब चाहते हैं कि संसद चले, चर्चा हो, हम कानून बनाना चाहते हैं, बिल पारित करना चाहते हैं। विपक्ष की हमेशा ये नीति रही है कि ज्यादा से ज्यादा कानून पास हो जाएं। कानून बनाना एक तरह से हमारी ड्यूटी है। हमारी ड्यूटी ये भी है कि जनता की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए सरकार का ध्यान जनता के मुद्दों की ओर आकर्षित करें। उन्होंने कहा, “जबसे ये बजट सत्र हुआ है, हम कोई चांद-सितारे नहीं मांग रहे हैं। राजनैतिक दल अपने लिए लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, अपने परिवार की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं। हम जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं। हम जनता के मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं।”
आजाद ने कहा कि कई मुद्दे हैं जिनपर सदन में चर्चा की जरूरत है। उन्होंने कहा, हम सरकार और स्पीकर से मांग करते हैं कि इन मुद्दों पर चर्चा कराई जाए और जरूरत पड़े तो सदन के सत्र को बढ़ाया जाए।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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