चुनाव करीब आने के बाद अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। अदालत से असंतोष भी दिख रहा है। आप इस पर क्या कहेंगे?
देखिये, यह एक बहुत बड़ा मसला है और हिदुस्तान में रहने वाले हर आदमी से जुड़ा हुआ है, चाहे वो किसी भी मज़हब का हो। काफी समय हो गया है और अदालत को भी फैसला देने में काफी दिक्कतें आ रही है। एक तरफ यह मामला कोर्ट का है और दूसरी तरफ आस्था का। मेरा मानना है कि आस्था के मामले अदालत से हल नहीं होते हैं। बेहतर यह होता कि यह बातचीत से हल होता। दोनों पक्षों के लोग बैठते और कोई हल निकलता। क्योंकि कोर्ट जो फैसला देगा, उससे एक पक्ष को मायूसी होगी और उसका दिल दुखेगा। हम एक जगह रह रहे हैं और बराबर में रहने वाले का दिल दुख रहा है तो हम खुश कैसे रह सकते हैं। मेरा अपना कहना यह है कि यह मसला बातचीत से हल होना था, मगर पिछले साढ़े चार साल में भारत की सरकार ने इस बारे में कोई पहल नहीं की। अगर वे पहल करते तो मुझे लगता है कि कोई न कोई रास्ता निकल जाता।
क्या आपको लगता है कि इस मसले में भारत के मुसलमानों को जरूरी सम्मान दिया जा रहा है?
कुछ नेताओं ने अजीब तरह के हालात पैदा कर दिए हैं। वे सुबह उठते हैं और मंजन-दातून किए बिना मुसलमानों को गाली देना शुरू कर देते हैं, उन्हें गद्दार बताते हैं और उन्हें बाबर से जोड़ देते हैं। मुझे नही लगता कि हिंदुस्तान का कोई मुसलमान बाबर का समर्थक है या औरंगजेब का समर्थक है। अगर ऐसा होता तो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सब मिलकर क्यों लड़ते। लेकिन कुछ पार्टियां हैं जो मुसलमानों के खिलाफ बोलती हैं। कुछ ऐसी भी पार्टियां पैदा हो गई हैं जो हिन्दुओं को सुबह उठते ही गाली देना शुरू कर देती हैं। कुल मिलाकर यह कट्टरता देश को कमजोर कर रही है। राम मंदिर का मसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। मुझे नही लगता कि सरकार राम मंदिर बनाने को लेकर गंभीर है। उनके लोग भावनाएं भड़काने को लेकर जरूर गंभीर हैं, वरना उन्होंने अब तक कुछ क्यों नही किया?
आप मुसलमानों के बीच जाते रहते हैं। क्या आपको ऐसा लगता है कि मुसलमान राम मंदिर बनने का विरोध करेंगे?
नहीं, मुझे नही लगता। मुझे आज तक कोई मुसलमान ऐसा नही मिला। मैंने बहुत से उलेमाओं से बात की है और सुफीवाद से जुड़े बहुत से लोगों से बात की है। मदरसों के छात्रों तक से बात की है। मुझे नहीं लगा कि कोई मुसलमान भगवान श्रीराम के खिलाफ है। वे राम के खिलाफ नहीं है। वे उनकी बहुत ज्यादा इज्जत करते हैं। मुझे आज तक किसी मुसलमान ने यह नही कहा कि राम मंदिर बनेगा तो वे विरोध करेंगे। मुसलमानों को भरोसे में नही लिया गया है। हमारे घर के मसले हैं, हम निपटा सकते हैं, मगर संजीदगी के साथ जो कोशिश होनी चाहिए थी वो अभी भी नहीं हो रही है।
क्या भारतीय जनता पार्टी के नेता मुसलमानों को योजनाबद्ध तरीके से राम मंदिर की राह में रोड़ा बताकर उन्हें खलनायक साबित करना चाहते हैं?
ये नींबू की तरह है जहां पड़ जायेंगे, फाड़ देंगे। मिसरी की तरह नहीं है कि घुल जायेंगे। यह प्रकृति की बात है। इनका जन्म ही विभाजन के आधार पर हुआ है। इनसे कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। लेकिन उनसे अलग हम इसके लिए प्रयास तेज़ करेंगे। इंसानों को रोजगार, मकान, व्यापार खेती-बाड़ी, काम-धाम चाहिए। हम कोई काम अकेले नहीं कर सकते। अगर हिन्दू चाहे कि हम मुसलमानों को कोई सामान न बेचें और न उनसे ख़रीदें और न उनसे बात करें तो यह मुमकिन नही है। मुसलमान चाहे कि हम अपना कारोबार बिना हिन्दुओं के करें तो मुमकिन नही है। तो हम लोगों का रोजी-रोटी का भी साथ है और बहुत नजदीक का रिश्ता है, इसलिए हम सबको मिलजुलकर रहना चाहिए। मगर जब ये बेहद जज्बाती मसला उभरता है तो आदमी अपने घर-परिवार और रोजगार की बातें भूल जाता है। इस बात को कुछ लोग जानते हैं, इसलिए इस मुद्दे को उठाया जाता है। और इसलिए हम सारे लोग मिलकर इस मुद्दे पर सौहार्दपूर्ण हल चाहते हैं।
क्या आपके पास इस मसले को समाधान की तरफ ले जाने की कोई योजना है?
रामजन्म भूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य पूर्व सांसद राम विलास वेदांती जी ने मुझसे बात की है। उन्होंने मुझे मुसलमानों से बात करने के लिए कहा है। दरअसल, वे मानते हैं कि जो लोग मुसलमानों से बात कर रहे हैं वो प्रभावशाली नहीं हैं। मैं इस संबंध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के जफरयाब जिलानी, पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द, मिल्ली काउंसिल और मुसलमानों की अन्य संस्थाओं से बात करूंगा।
क्या आपको सरकार की नीयत में खोट दिखता है?
उनको राम मंदिर बनाना नहीं है। उनको बनाना होता तो 2015 में बनाते, 2016 में बनाते या फिर 2017 में बनाते। बीजेपी सरकार तो यह चाहती है कि यह मामला खिंचता रहे और झगड़ा हो। उनको राम मंदिर बनाना ही नहीं है। वे तीन तलाक पर बिल लाते हैं, मुसलमानों से पूछते ही नहीं हैं। वे एससी-एसटी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल देते हैं, आधी रात को नोटबंदी कर देते हैं, वे जो मर्ज़ी आए कर देते हैं। अगर इतनी ताक़तवर सरकार हमारे भारत की है, तो उन्होंने एक बार भी राम मंदिर बनाने का नाम क्यों नहीं लिया?
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Published: 22 Nov 2018, 3:37 PM IST