कर्नाटक में सूखा राहत के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के बयान के बाद कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि यह किसानों और प्रदेश सरकार की जीत है।
केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि सूखा राहत के लिए वित्तीय सहायता के संबंध में कर्नाटक द्वारा उठाए गए मुद्दे के समाधान को लेकर चुनाव आयोग ने उसे मंजूरी दे दी है। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ कर्नाटक सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सूखा प्रबंधन के लिए राज्य को राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) से वित्तीय सहायता जारी करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी।
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पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि मई, 2023 में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने राज्य के साथ लगातार भेदभाव किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह कर्नाटक के लंबे समय से पीड़ित किसानों और राज्य सरकार की जीत है जिसने उनके कल्याण और हितों के लिए लड़ाई लड़ी है।’’
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रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मई, 2023 में कर्नाटक के लोगों द्वारा निर्णायक ढंग से खारिज किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्नाटकवासियों और कर्नाटक राज्य के साथ लगातार भेदभाव किया है। सबसे पहले, उन्होंने अन्न भाग्य खाद्य सुरक्षा योजना को विफल करने की कोशिश की। कांग्रेस सरकार अडिग रही और 4.49 करोड़ लाभार्थियों के लिए नकद अंतरण योजना शुरू की।’’
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उन्होंने दावा किया, ‘‘फिर इससे राज्य के किसानों को वैध सूखा राहत राशि मिलने में देरी हुई। कर्नाटक में 236 तालुकों में से 223 सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं, 196 तालुकों को गंभीर रूप से प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सितंबर 2023 की शुरुआत में कर्नाटक सरकार ने सूखा राहत के लिए 18,172 करोड़ रुपये जारी करने के लिए मोदी सरकार से संपर्क किया था।’’
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उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार को उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि नाराज प्रधानमंत्री उसके ज्ञापन पर निर्णय लेने से इनकार कर रहे थे।
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘आज माननीय उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण मोदी सरकार एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के लिए सहमत हो गई है।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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