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कांग्रेस ने सौंपी कमलनाथ को कमान: हर संकट में सदा साथ खड़े रहे पार्टी के

मध्य प्रदेश में सीएम के नाम का फैसला हो गया है। राज्य के सभी कांग्रेस विधायकों से राय के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ के नाम पर अपनी मुहर लगा दी है। कमलनाथ की गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है जो हर संकट की घड़ी में पार्टी के साथ रहे हैं

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

मध्य प्रदेश की सत्ता में 15 साल के बाद वापसी कर रही कांग्रेस ने प्रदेश की कमान दिग्गज नेता कमलनाथ को सौंपने का ऐलान कर दिया है। अब साफ हो गया है कि कमलनाथ ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। बता दें कि 11 दिसंबर को आए चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा थी। लेकिन राज्य में निर्वाचित पार्टी के सभी विधायकों की राय जानने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ के नाम पर मुहर लगा दी। कमलनाथ को इसी साल 26 अप्रैल को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

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छिंदवाड़ा से लोकसभा सांसद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ की गिनती देश के दिग्गज नेताओं में होती है। कमलनाथ ने 34 साल की उम्र में अपना पहला चुनाव जीता था। अब तक कमलनाथ 9 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 1980 में उन्होंने पहली बार छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा था और उसमें जीत हासिल की थी, जो अब तक जारी है। उसके बाद उन्होंने 1985, 1989 और 1991 के चुनावों में लगातार जीत दर्ज की। कमलनाथ ने 1998 और 1999 के चुनाव में भी जीत दर्ज की। लगातार जीत हासिल करने से कमलनाथ का कांग्रेस में कद बढ़ता गया और 2001 में उन्हें महासचिव बनाया गया। वह 2004 तक पार्टी के महासचिव रहे और इस साल हुए चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।

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चुनावों में लगातार जीत का इनाम भी उनको मिलता रहा और 1991 से 1995 के बीच कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्री बनाया गया। उसके बाद 1995 से 1996 के दौरान उन्होंने कपड़ा मंत्रालय की कमान संभाली। उसके बाद 2004 में जीत के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार में उन्हें वाणिज्य मंत्री बनाया गया। उन्होंने यूपीए-1 की सरकार में पूरे 5 साल तक यह अहम मंत्रालय संभाला। इसके बाद 2009 में हुए चुनाव में भी उन्हें एक बार फिर छिंदवाड़ा से लोकसभा के लिए चुना गया। यूपीए-2 की मनमोहन सरकार में उन्हें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। 2012 में उन्हें संसदीय कार्यमंत्री की अहम जिम्मेदारी दी गई।

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कमलनाथ की गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है जो संकट के समय में भी हमेशा पार्टी के साथ रहे। चाहे वह इंदिरा गांधी की हत्या हो, राजीव गांधी की हत्या हो या फिर 1996 से लेकर 2004 के बीच कांग्रेस में जारी संकट का समय हो, वह हमेशा पार्टी और गांधी परिवार के साथ खड़े रहे। सोनिया गांधी के अधयक्ष बनने के समय जब शरद पवार जैसे दिग्गज नेताओं ने पार्टी से बगावत की, तब भी कमलनाथ पार्टी के साथ डटे रहे। और जब 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया, तो उस समय भी कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में कांग्रेस का किला नहीं हिलने दिया। और आज जब तीन राज्यों में शानदार प्रदर्शन के बाद कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है, तो पार्टी ने फिर से एक बार कमलनाथ पर भरोसा जताया है।

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18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ की स्कूली पढ़ाई मसूरी के दून स्कूल से हुई। दून स्कूल में ही उनकी दोस्ती कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी से हुई। दून स्कूल के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक किया। उसके बाद कमलनाथ ने अपना कारोबार शुरू कर दिया। लेकिन तब तक दून स्कूल में उनकी संजय गांधी से हुई दोस्ती धीरे-धीरे पारिवारिक दोस्ती में बदल गई। फिर दोस्ती इतनी आगे बढ़ी कि कमलनाथ हमेशा संजय गांधी के साथ रहने लगे।

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कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा जब संजय गांधी की असमय मौत हो गई। इंदिरा गांधी की भी उम्र हो चुकी थी और राजीव गांधी राजनीति में नहीं आना चाह रहे थे। ऐसे में कांग्रेस लगातार कमजोर होती चली गई। ऐसे में गांधी परिवार के साथ हमेशा खड़े रहने वाले और लगातार कांग्रेस के लिए मेहनत कर रहे कमलनाथ पर इंदिरा गांधी की नजर पड़ी। इसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें छिंदवाड़ा सीट से टिकट देकर राजनीति में उतार दिया। उसी चुनाव के प्रचार में छिंदवाड़ा पहुंची इंदिरा गांधी ने लोगों से कहा था कि कमलनाथ मेरे तीसरे बेटे हैं, इन्हें आपलोग जीताएं।

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इसके बाद फिर छिंदवाड़ा और कमलनाथ एक दूसरे का पर्याय बन गए। वे तब से लगातार इस सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं। यह इलाका कमलनाथ का गढ़ बन चुका है। छिंदवाड़ा से कमलनाथ को सिर्फ एक बार निराशा हाथ लगी है, जब 1997 में वह पूर्व सीएम सुंदर लाल पटवा से यहां से हार गए।

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वहीं 1996 में इस सीट से कमलनाथ ने अपनी पत्नी अलका नाथ को चुनाव लड़ाया था, जिसमें उन्होंने भी जीत हासिल की थी। अब एक बार फिर पार्टी ने कमलनाथ की मेहनत, उनकी छवि और उनके समर्पण का उन्हें इनाम देते हुए मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का एलान कर दिया है।

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