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सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, MSME सेक्टर की हालत सुधारने के लिए बताए 5 उपाय, पढ़ें पूरा पत्र 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर देश की आर्थिक हालात पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखी है। कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की दुर्दशा की बात उठाई है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

प्रधानमंत्री जी,

मैं आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हूँ।

पिछले पाँच हफ्तों में हमारे देश ने अनेकों चुनौतियों का सामना किया है। कोविड-19 से हमारी लड़ाई में अर्थव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण समस्या पर तत्काल ध्यान आकृष्ट कर उसका समाधान किए जाने की अति आवश्यकता है। यदि इस समस्या को नजरंदाज कर दिया गया, तो उससे हमारी अर्थव्यवस्था पर अत्यंत गंभीर व विस्तृत प्रभाव पड़ेगा।

माईक्रो, स्मॉल एवं मीडियम उद्योग (‘एमएसएमई’) देश की जीडीपी में एक तिहाई का योगदान देते हैं एवं हमारे देश के कुल निर्यात में 50 प्रतिशत हिस्सा इस सेक्टर का है। एमएसएमई सेक्टर की 6.3 करोड़ इकाईयों में 11 करोड़ से अधिक लोग रोजगार पाते हैं। आर्थिक संकट के इस समय में बगैर मदद के यह सेक्टर बर्बादी की कगार पर आ खड़ा हुआ है।

लॉकडाऊन से इस सेक्टर को रोजाना 30,000 करोड़ रु. का नुकसान हो रहा है। लॉकडाऊन के दौरान लगभग सभी एमएसएमई के सेल्स ऑर्डर रुक गए हैं, उनका काम पूरी तरह से बंद हो गया तथा उनकी आय पर गंभीर व प्रतिकूल असर हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें काम करने वाले 11 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी छिन जाने का खतरा सर पर मंडरा रहा है, क्योंकि ये एमएसएमई उनका वेतन व मेहनताना देने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार को सर पर मंडराते इस संकट से निपटने के लिए अनेक उपाय करने की जरूरत होगी अन्यथा भविष्य में आर्थिक संकट और ज्यादा गहरा जाएगा। इसलिए मैं आपको निम्नलिखित सुझाव देती हूँ।

पहला, 1 लाख करोड़ रु. के ‘एमएसएमई सेक्टर वेज प्रोटेक्शन’ पैकेज की घोषणा की जाए। इससे इन नौकरियों को बचाने, मनोबल बढ़ाने तथा सर पर मंडराते आर्थिक संकट को दूर करने में मदद मिलेगी।

दूसरा, 1 लाख करोड़ रु. के ‘क्रेडिट गारंटी फंड’ का गठन किया जाए। इससे इस सेक्टर में तत्काल लिक्विडिटी आएगी और एमएसएमई को जरूरत पड़ने पर पर्याप्त पूंजी उपलब्ध हो सकेगी।

तीसरा, आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम कमर्शियल बैंकों के जमीनी क्रियान्वयन में भी दिखाई दें, जिससे एमएसएमई इकाईयों को पर्याप्त, आसान दरों पर व जल्द से जल्द कर्ज सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा आरबीआई के मोनेटरी (मौद्रिक) निर्णयों को सरकार की संपूर्ण वित्तीय मदद मिले, जिससे इन इकाईयों को लाभ पहुंचे। मंत्रालय में एक 24/7 हैल्पलाईन बहुत उपयोगी होगी, जो इस अवधि में एमएसएमई को मार्गदर्शन देकर सहायता प्रदान करे।

चौथा, इन उपायों के अलावा लोन के भुगतान के लिए आरबीआई द्वारा घोषित लोन मोरेटोरियम का लाभ एमएसएमई इकाईयों के लिए 3 माह से आगे बढ़ाकर इसका विस्तार किया जाए। सरकार को एमएसएमई के लिए टैक्स में छूट/कटौती तथा अन्य सेक्टर विशेष समाधान भी तलाशने चाहिए।

पाँचवां, अत्यधिक कोलेटरल सिक्योरिटी के चलते एमएसएमई इकाईयों को कर्ज नहीं मिल पाता। एमएसएमई इकाईयों के लिए ‘मार्जिन मनी’ की सीमा भी मौजूदा स्थिति में बहुत अधिक है। इन कारणों से एमएसएमई सेक्टर को कर्ज की उपलब्धता कम है। इस समस्या का फौरन समाधान करना भी अति आवश्यक है।

सरकार ने बार बार इस बात को स्वीकारा है कि एमएसएमई इकाईयां हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। यही समय है जब हमें यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि देश की यह रीढ़ सुरक्षित रहे व और मजबूत बने। इस मामले में समय पर ठोस कार्यवाही कर परिवर्तन लाया जा सकता है।

हम कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपना निरंतर सहयोग देना जारी रखेंगे। यह समय है जब हमें इस देश के स्तंभों को मजबूत करना होगा और हम केवल मिलकर यह काम कर सकते हैं।

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