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कांग्रेस का शिवराज सरकार के खिलाफ ‘सवाल चालीसा’ जारी: तीसरे सवाल में उठाया महिला सुरक्षा का मुद्दा

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सवालों के सामने बीजेपी लाजवाब है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शनिवार से सवालों का एक सिलसिला शुरु किया है जो अगले चालीस दिन जारी रहेगा। सोमवार को तीसरे सवाल में कमलनाथ ने महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाया है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने शनिवार से ‘सवाल चालीसा’ शुरु किया है। इसके तहत अगले 40 दिनों तक कांग्रेस शिवराज सरकार से 40 सवाल पूछेगी। अब तक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ सरकार से 3 सवाल पूछ चुके हैं। सोमवार को कमलनाथ ने तीसरे सवाल के रूप में महिला सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि, “मामा ,मुखौटा लगाकर वोट क्यों लिया ? माँ-बहन-बेटियों का जीवन अंधकार से क्यों भर दिया ? मध्यप्रदेश को 'अंधेरगर्दी-चौपट राज ' में क्यों बदल दिया ? मोदी सरकार से जानिए मामा के मुखौटे का राज; असुरक्षित नारी और भय का साम्राज्य।”

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इस सवाल के साथ ही कमलनाथ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े देते हुए कहा है कि, “ मामा राज के 13 वर्षों में 2,41,535 महिलाएं अपराधियों का शिकार हुईं। मामा के सत्ता में आने के बाद 2004 से 2016 में महिला अपराधों में 74.99 फीसदी की वृद्धि हुई।“ उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में 755 फीसदी की वृद्धि हुई। 2004 में 584 अपहरण होते थे, वे बढ़कर 2016 में 4994 प्रति वर्ष होने लगे।

कमलनाथ ने और आंकड़े देते हुए कहा है कि, “मामा राज के 13 वर्षो में अराजक तत्वों, अवसाद और आर्थिक तंगी की वजह से 27,457 महिलाओं ने आत्महत्या कर ली। मामा राज में 93,479 महिलाएं छेड़छाड़ का शिकार हुईं। वर्ष 2004 में महिलाओं के प्रति हुए अपराधों के अदालत में लंबित मामले 6,733 हैं।“

इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने रविवार को स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे पर शिवराज सरकार को घेरा था और घोषणाओं और उनकी जमीनी हकीकत को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने डायरिया, टाइफायड, गंभीर संक्रामक बीमारियां, कुपोषण और शिशु मृत्यु दर का आंकड़ों के साथ जिक्र किया था।

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उन्होंने लिखा था कि, “मामा , क्या यही है तुम्हारी घोषणा और सच्चाई का फ़र्क? क्यों मप्र को बना दिया बीमारियों का नर्क ? कल मोदी सरकार ने बताया था कैसे हुआ मप्र की स्वास्थ्य सुविधाओं का बेड़ा गर्क, आज उन्हीं से सुनिये प्रदेश कैसे बन गया बीमारियों का नर्क।“

उन्होंने इस ट्वीट के साथ कई आंकड़े पेश किए थे:

  • मप्र में पिछले 2 सालों में (2016-2017) एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से 35 लाख 81 हजार 936 लोग पीड़ित हुए।
  • पिछले 2 सालों में (2016-2017) एक्यूट डायरिया से 14 लाख 80 हजार 817 लोग पीड़ित हुए
  • पिछले 5 सालों में गंभीर संक्रामक बीमारियों से 3 लाख़ 91 हजार 18 लोग पीड़ित हुए।
  • पिछले 2 सालों में टाइफाॅइड से 2,29,532 लोग पीड़ित हुए ।
  • मप्र में 1आदमी के ग्रामीण क्षेत्र में अस्पताल में 1बार भर्ती होने पर औसत खर्च 25961रु आता है,जो बड़े राज्यों में सबसे अधिक की श्रेणी में है।जो बिहार जैसे राज्य में 15237रु,तमिलनाडु में 16042रु,उप्र में 15393 रु है।
  • पूरे देश में मप्र में सर्वाधिक 42.8% अर्थात 48 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हैं ।
  • मप्र के 68.9 % बच्चे खून की कमी के शिकार और 15 से 49 साल की 52.4% महिलाएं खून की कमी की शिकार हैं ।
  • मप्र में एक साल तक के बच्चों की मृत्यु दर देश में सबसे अधिक 47 अर्थात 90 हज़ार बच्चे अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते और मौत की आगोश में समा जाते हैं ।
  • बिहार, उत्तर प्रदेश के बाद तीसरा राज्य मप्र है,जहाँ कुल प्रजनन दर सर्वाधिक (टोटल फर्टिलिटी रेट ) 3.1 है।
  • मध्यप्रदेश में 89.6% महिलाओं की पूरी गर्भावस्था के दौरान पूरी जाँच नहीं होती ।
    मध्यप्रदेश में 46% बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण नहीं होता।


(सोर्स :- NFHS - 4, NHP - 2018 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय)

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वहीं शनिवार को कमलनाथ ने पहला सवाल पूछते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े किए। उन्होंने राज्यसभा में पूछे गए सवाल और कई सरकारी संस्थाओं की रिपोर्ट के आधार पर एक के बाद एक पांच ट्वीट करके मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पहला सवाल पूछा था।

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उन्होंने पहले सवाल में लिखा था, “मामा और मंत्री मदमस्त- स्वाथ्य सेवाएं क्यों कर दीं ध्वस्त। मोदी सरकार ही खड़ा कर रही है मामा सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती तबीयत पर सवाल।“

हालांकि बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि कांग्रेस में मैदान पर चुनाव लड़ने का साहस नहीं बचा इसलिए सोशल मीडिया का सहारा ले रही है। बीजेपी नेता हितेश वाजपेयी ने कहा कि चुनाव बूथ पर लड़े जाते हैं जबकि कांग्रेस इसे सोशल मीडिया पर लड़ना चाहती है।

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