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दलित लेखक कांचा इलैया को हैदराबाद के उनके घर में किया गया नजरबंद

दलित लेखक कांचा इलैया को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया है। पुलिस ने 27 अक्टूबर को कांचा को नोटिस थमाते हुए कहा था कि विजयवाड़ा में जनसभा के लिए अनुमति नहीं है क्योंकि शहर में निषेधाज्ञा लागू है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

दलित लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता कांचा इलैया को विजयवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करने से रोकने के लिए शनिवार को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। हैदराबाद के तरनाका में उनके घर के बाहर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। आंध्र प्रदेश की पुलिस ने उन्हें बताया है कि अगर वह अपने घर से बाहर निकले तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

उनके घर के बाहर बड़ी संख्या में उनके समर्थक जुट गए हैं। उनके एक समर्थक ने कहा कि वे निश्चित तौर पर विजयवाड़ा जाएंगे।

पुलिस की एक टीम ने 27 अक्टूबर को कांचा को नोटिस थमाते हुए कहा कि विजयवाड़ा में जनसभा के लिए अनुमति नहीं है क्योंकि शहर में निषेधाज्ञा लागू है। जबकि हैदराबाद उच्च न्यायालय ने 27 अक्टूबर को कांचा को विजयवाड़ा में जनसभा करने की अनुमति नहीं देने को लेकर दायर एक याचिका पर आंध्र प्रदेश पुलिस को निर्देश देने से मना कर दिया था। अदालत आर्य वैश्य संघ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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कांचा को आर्य वैश्य समुदाय के विभिन्न संगठनों से धमकियां मिल रही हैं। आर्य वैश्य ब्राह्मण एक्य वेदिका यानी आर्य वैश्य और ब्राहण समुदायों की संयुक्त समिति ने कांचा को चेतावनी दी है कि यदि वह विजयवाड़ा जाकर जनसभा करेंगे तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

संयुक्त समिति ने एक बैठक करने की भी योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस द्वारा शहर में बैठकों और रैलियों पर प्रतिबंध लगाने की वजह से उन्होंने अपनी योजना ठंडे बस्ते में डाल दी। इस बीच कुछ दलित और पिछड़े वर्ग के संगठन कांचा का साथ देने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

कांचा का आरोप है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारें अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने का प्रयास कर रही हैं।

कांचा ने तेलुगू में प्रकाशित अपनी किताब 'समाजिका स्मगल्लेरू कोमाटोलू' में आर्य वैश्य समुदाय को सामाजिक तस्कर कहा है, जिस वजह से उन्हें इन समूहों से विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

आर्य वैश्य समुदायों ने भावनाओं को आहत करने के लिए उनकी किताब पर प्रतिबंध लगाने और उनकी गिरफ्तारी की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को कांचा की किताब पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था।

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