नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन कर जनता दल (यू) ने कई लोगों को चौंका दिया। जेडीयू के इस फैसले से न सिर्फ आम लोग बल्कि पार्टी के नेता भी निराश हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि यह विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। देर रात लोकसभा में विधेयक पर मतदान होने के बाद जब वह पारित हो गया तब किशोर ने ट्वीट किया कि विधेयक पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता।
Published: 10 Dec 2019, 1:00 PM IST
उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘जेडीयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ। यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है।’
Published: 10 Dec 2019, 1:00 PM IST
प्रशांत किशोर के बाद अब पवन वर्मा ने भी इस बिल का विरोध किया है और नीतीश कुमार से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
जेडीयू प्रवक्ता पवन कुमार वर्मा ने मंगलवार इस बारे में ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर समर्थन पर दोबारा विचार करें। ये बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है। ये बिल जेडीयू के मूल विचारों के भी खिलाफ हैं, गांधी जी इसका पूरी तरह से विरोध करते।
Published: 10 Dec 2019, 1:00 PM IST
हालांकि पार्टी का विधेयक को समर्थन करने की अपनी दलीलें थी। विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में जेडीयू के नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने कहा कि जेडीयू विधेयक का समर्थन इसलिए कर रही है क्योंकि यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है।
Published: 10 Dec 2019, 1:00 PM IST
राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सदन में कुछ लोग अपने अपने हिसाब से धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा गढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी भी तरह से धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है। सिंह ने यह भी कहा कि इस विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर के लोगों को कुछ शंकाएं थीं, लेकिन अब इन शंकाओं को भी दूर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जो लोग इतने समय से न्याय की आस लगाए हुए थे, उन्हें यह बड़ी राहत प्रदान करेगा।
Published: 10 Dec 2019, 1:00 PM IST
बता दें, लोकसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। निचले सदन में विधेयक पर सदन में सात घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों के यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है। ये लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी।
Published: 10 Dec 2019, 1:00 PM IST
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Published: 10 Dec 2019, 1:00 PM IST