सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को किसानों के आंदोलन को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इन कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी है। ये रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है जिनमें कृषि विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ होंगे। ये कमेटी किसानों की आपत्तियों पर विचार करेगी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में भूपिंदर सिंह मान (अध्यक्ष बेकीयू), डॉ प्रमोद कुमार जोशी (अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) और अनिल घनवट (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल हैं।
Published: 12 Jan 2021, 5:28 PM IST
भूपिंदर सिंह मान
सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपिंदर सिंह मान को भी शामिल किया है। मान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। किसान संघर्षों में योगदान को ध्यान में रखते हुए 1990 में राष्ट्रपति की ओर से भूपिंदर सिंह मान को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था। आंदोलन कर रहे किसान संगठन की माने तो भूपिंदर सिंह मान पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संगठन क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल ने बुधवार को कहा कि मैं भूपिंदर सिंह मान को जानता हूं, वो पंजाब से हैं और वह कृषि मंत्री से मिलकर कानून का समर्थन कर चुके हैं।
Published: 12 Jan 2021, 5:28 PM IST
प्रमोद कुमार जोशी
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी जाने माने कृषि विशेषज्ञ हैं। हाल ही में उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि 'हमें एमएसपी से परे, नई मूल्य नीति पर विचार करने की आवश्यकता है। यह किसानों, उपभोक्ताओं और सरकार के लिए एक जैसा होना चाहिए, एमएसपी को घाटे को पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया था। अब हम इसे पार कर चुके हैं और अधिकांश वस्तुओं में सरप्लस हैं। सुझावों का स्वागत है।'
Published: 12 Jan 2021, 5:28 PM IST
अनिल घनवट
शीर्ष अदालत ने शिवकेरी संगठन महाराष्ट्र के अनिल घनवट को भी इस कमिटी में शामिल किया है। शेतकारी संगठन के अध्यक्ष धनवट के इस संगठन के साथ लाखों किसान जुड़े हुए हैं। इस संगठन का महाराष्ट्र के किसानों पर बड़ा असर है। बीते दिनों अनिल घनवट ने कहा था कि सरकार किसानों के साथ विचार-विमर्श के बाद कानूनों को लागू और उनमें संशोधन कर सकती है। हालांकि, इन कानूनों को वापस लेने की आवश्यकता नहीं है, जो किसानों के लिए कई अवसर को खोल रही है।
Published: 12 Jan 2021, 5:28 PM IST
अशोक गुलाटी
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को भी इस कमिटी का सदस्य नियुक्त किया है। गुलाटी 1991 से 2001 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार काउंसिल के सदस्य रहे हैं। कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी भी तीनों कृषि कानूनों के पक्ष में रहे हैं। अशोक गुलाटी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि इन तीनों कानून से किसानों को फायदा होगा, लेकिन सरकार यह बताने में कामयाब नहीं रही। उन्होंने कहा था कि किसान और सरकार के बीच संवादहीनता है, जिसे दूर किया जाना चाहिए।
Published: 12 Jan 2021, 5:28 PM IST
टिकैत ने कमेटी पर उठाए सवाल!
कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं। गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी। आजतक की खबर के मुताबिक राकेश टिकैत ने कहा कि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
Published: 12 Jan 2021, 5:28 PM IST
इस कमेटी में शामिल ज्यादातर लोग कृषि कानूनों के समर्थक माने जाते हैं। उनके हालिया बयान भी इसी तरफ इशारा करते हैं। ऐसे में क्या किसान कमेटी के सदस्यों की बातों से समहत हो पाएंगे, यह एक सवाल है। किसानों ने पहले ही कमेटी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया है। उनकी मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। वहीं किसानों ने कमेटी में शामिल लोगों के निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं।
Published: 12 Jan 2021, 5:28 PM IST
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Published: 12 Jan 2021, 5:28 PM IST