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पूर्व CSI ने सरकारी आंकड़े दबाने पर उठाए सवाल, कहा- ऐसा करने से देश की छवि पर बट्टा लगा

मोदी सरकार पर बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था से संबंधी सरकारी आंकड़े दबाने के आरापों के बीच देश के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनब सेन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी डाटा दबाने और फिर लीक होने से भारतीय डाटा की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनब सेन ने कहा है कि देश में आधिकारिक आर्थिक डाटा के लिए एक रिलीज कैलेंडर होना चाहिए और उसे समय पर जारी भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों को दबाना और फिर उनके लीक होने से भारतीय डाटा की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ रही है। इससे देश की सांख्यिकी व्यवस्था बदनाम हो रही है।

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द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार उन्होंने कहा कि भारत के आधिकारिक आंकड़ों की विश्वसनीयता पर मंडराते खतरे की तरफ इशारा करते हुए कहा कि चीन की तरह प्रमुख सरकारी आंकड़ों को रोके जाने से वैश्विक मंच पर भारत के आधिकारिक आंकड़ों की इमेज खराब हो रही है। सेन ने कहा कि सरकारी डाटा को दबाने और फिर उनके लीक होने से भारतीय डाटा की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है। इससे देश की सांख्यिकी व्यवस्था बदनाम हो रही है।

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पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रोनब सेन हाल में गठित स्टैंडिंग कमेटी ऑन इकोनॉमिक स्टेटिस्टिक्स के प्रमुख हैं। सेन ने मोदी सरकार के प्रस्तावित एनएससी बिल के ड्राफ्ट पर भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ड्राफ्ट में बिल का जो मौजूदा स्वरूप है, वह नेशनल स्टेटिस्टिकल कमीशन (एनएससी) को बिना किसी शक्ति वाले एक सार्वजनिक उपक्रम में बदल देगा, जो बहुत चिंताजनक है। बता दें कि इस समय एनएससी बिल सभी हितधारकों की राय के लिए पब्लिक डोमेन में है।

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गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार विभिन्न मंत्रालयों के आंकड़े दबाने के आरोप लगते रहे हैं। मोदी सरकार पर साल 2017-18 के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट जारी करने में देरी और सालाना उपभोक्ता खपत सर्वे को रोककर रखने के आरोप भी लगे हैं। इसके अलावा सरकार पर पीएम मोदी की महात्वाकांक्षी मुद्रा योजना से संबंधित मुद्रा सर्वे को लेकर भी सरकार पर आरोप लगे हैं।

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