मानसून और बाढ़ के बाद उत्तर भारत में बारिश एक बार फिर अपना रंग दिखाने जा रही है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी बता रही है कि एक बहुत ही जबरदस्त पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और हरियाणा में पहुंचने वाला है। इसका असर दिल्ली एनसीआर में भी पड़ेगा। यह चार अक्तूबर को दस्तक देगा और सात अक्तूबर तक इसका असर रहेगा। यह उन राज्यों के लिए बड़ी चिंता का सबब बन सकता है जिन्होंने अगस्त और सितंबर में भारी बारिश और बाढ़ की तबाही का सामना किया था और उनकी दिक्कतों से वे अभी तक नहीं उबर पाएं हैं।
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सबसे ज्यादा चिंता पंजाब को लेकर है, जहां नदियों का डूब क्षेत्र बहुत बड़ा है और मानसून की बारिश और बाढ़ से यहां की मिट्टी अभी तक अघाई हुई है। मौसम विभाग ने कहा है कि इस दौरान पंजाब में 110 मिलमीटर बारिश हो सकती है।
बारिश को सबसे जबरदस्त दौर छह और सात अक्तूबर को चलेगा जिसका सबसे ज्यादा असर अमृतसर, तरनतारन, गुरुदासपुर, पठानकोट, रोपड़, जालंधर, लुधियाना, मोगा, मानसा, बरनाला और बठिडा में दिखाई देगा।
राज्य सरकार अभी भी उस बाढ़ के असर से जूझ रही है जिसने 59 लोगों की जान ले ली थी और तकरीबन पांच लाख एकड़ में खड़ी फसल इससे तबाह हो गई थी।
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सरकार लबालब हो चुके अपने जलाशयों में जगह बनाने में जुटी हुई है। रावी नदी पर बने रंजीत सागर बांध से निकलने वाले पानी की मात्रा काफी बढ़ा दी गई है। एक अक्तूबर को पानी का बहाव 20,362 क्यूसेक था जिसे अगले दिन बढ़ाकर 37,686 क्यूसेक कर दिया गया। द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि वे पानी का स्तर 527.5 फीट के खतरे के निशान से काफी नीचा रखना चाहते हैं अभी यह 523.53 फीट पर है। ऐसी ही सावधानी ब्यास नदी पर बने पौंग बांध पर भी अपनाई जा रही है जहां से 17,171 क्यूसेक पानी रिलीज़ किया जा रहा है।
पंजाब का जल संसाधन विभाग इसे लेकर मौसम विभाग और भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड से लगातार संपर्क बनाए हुए है ताकि ऊपरी जलाशयों में आने वाले पानी पर लगातार नजर रखी जा सके। सबसे ज्यादा चिंता रावी में गिरने वाली उन 22 छोटी नदियों और धाराओं को लेकर है जिनकी वजह से भारी बारिश हो तो रावी में अचानक ही उफान आ जाता है।
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दूसरी तरफ श्रीनगर के मौसम विभाग ने चार से सात अक्तूबर को मौसम खराब रहने की चेतावनी जारी की है। इस दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है जबकि कश्मीर घाटी में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। जम्मू संभाग में कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी तक बारिश हो सकती है।
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हिमाचल प्रदेश में इस दौरान 160 से 180 मिलीमीटर बारिश होने की आशंका जताई गई है। उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और औचक बाढ़ के खतरे भी बने रहेंगे। सतलुज और ब्यास नदियों के उफनने का खतरा भी रहेगा। सरकार की ओर से पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए ट्रैकिंग पर न जाने की सलाह भी दी गई है।
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हरियाणा को भी इस मौसम के लिए तैयार रहने को कहा गया है। पंजाब सरकार ने हरियाणा के सिंचाई विभाग से कहा है कि वह घग्गर नदी बने पिंजौर के कौशल्या बांध से निकलने वाले पानी की मात्रा पर ध्यान दे। इसका मकसद यह है कि कौशल्या बांध में पर्याप्त क्षमता रहे वरना यह नदी पंजाब और हरियाणा दोनों जगह ही बाढ़ ला सकती है।
मौसम विभाग की यह भविष्यवाणी उत्तर भारत के राज्यों की एक और परीक्षा हो सकती है।
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