
कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही लागू चार श्रम संहिताओं को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि ये मजदूर विरोधी होने के साथ ‘बंधुआ मजदूरी’ को बढ़ावा देने वाली हैं।
पार्टी के ‘असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस’ प्रकोष्ठ के अध्यक्ष उदित राज ने कांग्रेस मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ में संवाददाताओं से बातचीत में यह दावा भी किया कि सरकार ने एक झटके में उन सभी कानूनों की ‘‘हत्या कर दी’’, जो पहले से मजदूरों के हित में मौजूद थे।
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उदित राज ने कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा लाई गई चार नई श्रम संहिताओं का विरोध करते है और इसके विरोध में पूरे देश में आंदोलन होगा। ये श्रम संहिताएं मज़दूरों के अधिकारों को छीनती हैं, उनकी नौकरी की सुरक्षा खत्म करती हैं और ये सिर्फ कॉरपोरेट के हित में काम करती हैं।’’
उनका कहना था, ‘‘नई श्रम संहिताओं में निरीक्षण प्रणाली को कमजोर करने के कारण मजदूरों का शोषण बढ़ जाएगा और नियोक्ताओं को बहुत सारी कानूनी पाबंदियों से छूट मिल जाएगी। नई संहिता में ‘गिग वर्कर्स’ को केवल पंजीकरण तक सीमित कर दिया है तथा इसमें उनके लिए स्वास्थ्य बीमा या भविष्य निधि का प्रावधान नहीं हैं।’’
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कांग्रेस नेता ने दावा किया कि इन संहिताओं से ‘‘हायर एंड फायर’’ (जब चाहे नौकरी से हटाने की) नीति को ताकत दी गई है, जिससे असंगठित मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और उनकी नौकरी की सुरक्षा खत्म होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ इन चारों संहिताओं में मजदूरों के अधिकार ख़त्म कर दिए गए हैं। अब मजदूर हड़ताल नहीं कर सकता। इससे 'बंधुआ मजदूर' की कुरीति को बल मिलेगा।’’
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उदित राज का कहना था, ‘‘हमारी मांग है कि मजदूर विरोधी नई श्रम संहिताओं को सरकार द्वारा तत्काल वापस लिया जाए।’’
केंद्र ने बीते 21 नवंबर को 2020 से लंबित चार श्रम संहिताओं को लागू कर दिया, जिनमें सभी के लिए समय पर न्यूनतम वेतन और सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा जैसे श्रमिक-अनुकूल उपायों को शामिल किया गया है, जिसमें गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक भी शामिल हैं। वहीं, लंबे समय तक काम करने के घंटे, व्यापक निश्चित अवधि के रोजगार और नियोक्ता के अनुकूल छंटनी के नियमों की अनुमति दी गई है।
‘प्लेटफॉर्म वर्क’ एक प्रकार की रोजगार व्यवस्था है जिसमें लोग डिजिटल मंच के माध्यम से ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करते हैं।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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