मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर ने #MeToo के तहत लगे आरोपों पर सफाई देने के लिए अब कानूनी रास्ता अपनाया है। उन्होंने यौन शौषण के आरोप लगाने वाली एक पत्रकार प्रिया रमाणी पर दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट में आपराधिक मानहानि का केस किया है। केस के लिए अकबर ने दिल्ली लॉ फर्म करंजावाला एंड कंपनी की सेवाएं ली हैं। फर्म ने अदालत में जो वकालतनाम दाखिल किया है, उसमें अकबर का केस लड़ने के लिए 97 वकीलों के नाम दिए गए हैं।
Published: 15 Oct 2018, 5:28 PM IST
पत्रकार प्रिया रमाणी के खिलाफ वकीलों की फौज उतारे जाने पर सोशल मीडिया में इस बात की जबरदस्त चर्चा हो रही है। पत्रकार आदित्यराज कौल ने इसे आरोप लगाने वाली पत्रकारों पर दबाव बनाने का तरीका बताया है।
Published: 15 Oct 2018, 5:28 PM IST
वहीं एक और पत्रकार सुहासिनी हैदर ने कहा है कि, “सल्तनत ने जवाबी हमला किया है। और इस हमले में प्रधानमंत्री और उनकी पूरी कैबिनेट की मदद शामिल है, और सबसे बड़ी लॉ फर्म केस लड़ेगी। 2 किशोरियों समेत 14 महिलाओं के खिलाफ सल्तनत का साथ कुछ वरिष्ठ स्तंभकार भी दे रहे हैं। लगता है हम सब पर मुकदमा है।”
Published: 15 Oct 2018, 5:28 PM IST
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने कहा है कि संभवत: #MeToo अभियान का पूरी दुनिया में यह अपने तरह का पहला मामला है।
Published: 15 Oct 2018, 5:28 PM IST
वहीं एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि अब जबकि एम जे अकबर ने प्रिया रमाणी पर मुकदम दायर कर दिया है तो महिला कल्याण और बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है कि वह #MeToo अभियान को वित्तीय और कानूनी मदद करे। जिन लोगों ने ऐसे प्रभावशाली लोगों के खिलाफ आवाज़ उठाने का साहस किया है किसी राजनीतिक दबाव में उनकी आवाज़ दबनी नहीं चाहिए।
Published: 15 Oct 2018, 5:28 PM IST
इसके अलावा पत्रकार निधि राज़दान और सीमा सिरोही ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। सीमा सिरोही ने कहा है कि “नहीं पता था कि वह इतना अमीर है। या फिर हो सकता है कि आजकल वकील भी मुफ्त में बड़े लोगों के लिए काम करने लगे हैं।”
Published: 15 Oct 2018, 5:28 PM IST
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Published: 15 Oct 2018, 5:28 PM IST