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अब मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल में 36 मासूमों की मौत

आश्चर्य इस बात का है कि शहडोल के मुख्य स्वास्थ्या और चिकित्साधिकारी को इन मौतों की जानकारी ही नहीं है। लेकिन अस्पताल सूत्रों का कहना है कि बच्चों की मौत लापरवाही का नतीजा है

फोटो : Getty Images
फोटो : Getty Images मध्य प्रदेश में शहडोल के सरकारी अस्पताल में 36 नवजात बच्चों की एक महीने में मौत (प्रतिनिधि तस्वीर)
बीजेपी शासित राज्यों में सरकारी अस्पताल मासूमों की कब्रगाह बनते जा रहे हैं। पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फर्रुखाबाद के बाद अब मध्य प्रदेश के शहडौल में सरकार अस्पताल में बच्चों की मौत खबर आयी है। ऐसा लगता है कि बच्चों का स्वास्थ्य और उनका इलाज बीजेपी सरकारों की प्राथमिकता में है ही नहीं।

खबरों के मुताबिक मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के सरकारी अस्पताल में अगस्त महीने में 36 नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। इस खबर के बाद बीजेपी शासित एक और राज्य में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओँ में लापरवाही उजागर हुयी है। जिन 36 बच्चों की मौत हुयी है उन्हें पैदाइश के फौरन बाद स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में रखा गया था। इस यूनिट के प्रभारी डॉ. वी डी सोनवानी ने इन मौतों की पुष्टि की है। उनका कहना है : "अगस्त महीने में, 195 बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था, जिसमें से 36 बच्चों की मौत हो गयी। लेकिन मौत सिर्फ उन्हीं बच्चों की हुयी है जिनका वजन कम था या उन्हें कोई और बीमारी थी।“

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लेकिन, अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि ये सिर्फ और सिर्फ लापरवाही का नतीजा है। सूत्रों के मुताबिक इस अस्पताल में बच्चों के लिए चार वेंटिलेटर हैं, लेकिन उन्हें चलाने का प्रशिक्षण न तो किसी डॉक्टर के पास है और न ही नर्सिंग स्टाफ के पास। ऐसे में जिन बच्चों को बचाया भी जा सकता था, उन्हें भी नहीं बचाया जा सका।

एसएनसीयू के अगस्त के आंकड़े देखने से पता चलता है कि यहां भर्ती कुल बच्चों में से 15 फीसदी बच्चों की मौत हो गयी। लेकिन, हद यह है कि इस सबकी जानकारी मुख्य स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश पांडेय को नहीं है। उनका कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। ये भी खबरें हैं कि हाल ही में सांसद दलपत सिंह परस्ते को इसी अस्पताल में खराब स्वास्थ्य सेवाओँ के चलते हवाई जहाज से दिल्ली के नजदीक गुड़गांव में एक प्राइवेट अस्पताल ले जाना पड़ा था।

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