तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने शनिवार को कहा कि एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक लाने का केंद्र का फैसला बेरोजगारी और महंगाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए है।
अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट में, राज्यसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता ने दावा किया कि ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ प्रस्ताव बेरोजगारी, महंगाई, संघीय-विरोधी नीतियां, मणिपुर, गिरता हुआ रुपया, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद ईंधन की कीमतों में कटौती नहीं की जा रही है, और भी बहुत कुछ ‘‘वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए है।
ओ ब्रायन ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘‘एक राष्ट्र एक चुनाव सामूहिक ध्यान भटकाने का एक और माध्यम है।’’
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टीएमसी ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है और पार्टी प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनके सांसद संसद में इस ‘‘कठोर कानून’’ का पुरजोर विरोध करेंगे।
ओ ब्रायन ने कहा कि यह विधेयक पिछले साल पारित महिला आरक्षण विधेयक से काफी मिलता-जुलता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह खबर प्राइम टाइम पर रही, जिसमें मणिपुर संकट से निपटने में सरकार की नाकामी को छुपाया गया।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘महिला आरक्षण विधेयक जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू हो सकता है। इसलिए, यह जल्द से जल्द स्थिति में भी 2034 में लागू हो सकता है।’’
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टीएमसी नेता ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक राष्ट्र एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति ने विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के संविधान और अन्य कानूनों में 18 संशोधनों की सिफारिश की है।
टीएमसी नेता ने कहा कि आईडीएफसी संस्थान द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि यदि एक साथ चुनाव होते हैं तो केंद्र और राज्यों में मतदाताओं द्वारा एक ही पार्टी को वोट देने की 77 प्रतिशत संभावना है।
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