मेरठ में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का समागम सम्मेलन इस बार विवादों में घिरा रहा। समागम में 2 लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटी। पहले कार्यक्रम की होर्डिंग में वाल्मीकि समाज के महापुरुषों पर की टिप्पणी को लेकर बवाल हुए और बाद में कार्यक्रम में तिरंगा लगाने की मांग को लेकर सपा ने हंगामा किया।
जब संघ प्रमुख मोहन भागवत इस सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे तो उसी समय समाजवादी पार्टी के कुछ नेतागण संघ को आईना दिखाने के लिए तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे। इस तिरंगा यात्रा का नेतृत्व समाजवादी पार्टी के छात्र सभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अतुल प्रधान कर रहे थे। उनके मुताबिक “संघ ने इस कार्यक्रम को राष्ट्र का उदय का शीर्षक दिया था और मेरठ में देशभक्ति से भरे हुए होर्डिंग लगाये गये थे। ऐसा प्रचार किया गया था यह कार्यक्रम पूरी तरह राष्ट्रभक्ति को समर्पित रहेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “लेकिन शहर में ऐसा नही दिखा। पूरे शहर में भगवा ही था, तिरंगा कहीं नही था। यह तब हुआ जब यह पूरा कार्यक्रम ही राष्ट्रभक्ति के प्रचार के इर्द-गिर्द था। मगर राष्ट्रध्वज कहीं दिखाई नही दिया। पूर्व मंत्री इसरार सैफी ने पूछा, “क्या भारत में कोई और संगठन बिना तिरंगे के 2 लाख लोगों को इकट्ठा करने का साहस कर सकता है? इसके बाद उन्हें तरह-तरह की मुश्किल झेलनी पड़ेगी। यह तब है जब देशभर में जगह-जगह तिरंगा फहराने को लेकर टकराव होने की बात सामने आई है।
Published: undefined
हाल ही में कासगंज में पहले कथित तौर पर तिरंगा यात्रा में विवाद होने की बात सामने आई थी। बाद में भगवा झण्डे को लेकर हुए बवाल का सच सामने आया था। इस दौरान तमाम हिंदुवादी ताकतों ने प्रचार किया था कि एबीवीपी के लोग तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे।
मेयर चुनाव में सपा प्रत्याशी रहीं दीपु मनोठीया के पति और समाजवादी पार्टी के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के महानगर अध्यक्ष विपिन कहते है, “उन्हें तिरंगा से इतना ही लगाव है तो फिर समागम में तिरंगा क्यों नही फहराया गया?” विपिन कहते हैं कि दो दिन पहले उन्होंने खुद अपने साथियों के साथ मेरठ मंडल आयुक्त प्रभात कुमार से मुलाकात कर समागम में तिरंगा लहराने की अपील की थी और कहा था कि भगवा झण्डा लगाकर यह साम्प्रदयिकता को बढ़ावा दे रहे हैं। मगर उसके बाद भी कुछ नही हुआ। इसके बाद भी तिरंगा नही लगाया गया तो सपा के कार्यकर्ताओ ने खुद तिरंगा हाथ में लेकर रैली निकाल दी।
इन सभी कायकर्ताओं ने संघ प्रमुख का विरोध करने का भी ऐलान किया था, लेकिन उन्हें पुलिस ने जागृति विहार (समागम स्थल ) पहुंचने नही दिया। विपिन कहते हैं, “एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में संघ की इस प्रकार की गतिविधि घातक है और देशहित में नही है। यह तिरंगे को बवाल के लिए तो इस्तेमाल कर सकते हैं, मगर गौरव का प्रतीक और सबसे ऊंचा भगवा झंडा ही रहेगा। इससे इनकी मंसूबों का पता चलता है।”
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined