केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीमा सुरक्षा बल (BSF) का दायरा 15 से 50 किलोमीटर करने के फैसले को लेकर पंजाब सरकार जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुला सकती है। केंद्र के इस फैसले का राज्य में जोरदार विरोध हो रहा है। राज्य के लगभग सभी दल इसके खिलाफ हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल सरीखे दिग्गज नेता भी इस फैसले के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं। बादल ने गैर भाजपाई दलों से आह्वान किया है कि वे एकजुट होकर केंद्र के इस फैसले के खिलाफ लड़ाई लड़ें। कांग्रसे केंद्र के इस फैसले का पहले से ही विरोध कर रही है। सत्ताधारी पार्टी ने बादल के बयान का समर्थन किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और श्री आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल जो सुझाव दे रहे हैं उनका विशेष महत्व है। एकजुट होकर केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ना चाहिए। तिवारी ने कहा कि पंजाब सरकार को इस मामले के मद्देनजर सभी लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों की बैठक बुलानी चाहिए और उसके बाद सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस फैसले को अदालत में चुनौती दी जाए।
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राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री विजयइंदर सिंगला ने बीएसएफ का दायरा बढ़ाने के बादल के विरोध को स्वागत योग्य बताया है। सिंगला ने कहा कि अगर केंद्र के किसी भी मंत्री या प्रधानमंत्री से मिलना है तो कांग्रेस सभी राजनीतिक दलों के शिष्टमंडल की अगुवाई करने के लिए तैयार है। यह सत्ताधारी पार्टी की जिम्मेदारी है और वह सब को साथ लेकर चलेगी। इसमें हरगिज कोई पक्षपात नहीं होगा। विजयइंदर सिंगला ने कहा कि केंद्र सरकार निहायत तानाशाही ढंग से राज्य के अधिकारों में दखलअंदाजी कर रही है। राज्य के एक अन्य कैबिनेट मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी दिग्गज अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल के बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के मामले में दिए गए बयान पर टिप्पणी करेंगे और सरकार जल्द इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाएगी।
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सूबे के कुछ मंत्री और विधायक पहले ही कह चुके हैं कि इस संवेदनशील मामले पर विधानसभा का विशेष सत्र होगा। आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा, राज्याध्यक्ष सांसद भगवंत मान और पंजाब मामलों के सह प्रभारी राघव चड्ढा ने एक संयुक्त वक्तव्य में फिर कहा है कि बीएसएफ का दायरा बढ़ाना संघीय ढांचे को कमजोर करने की साजिश के अलावा कुछ नहीं है।
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इस बीच उपमुख्यमंत्री और गृह विभाग के मुखिया सुखजिंदर सिंह रंधावा राज्य के उन इलाकों का दौरा कर रहे हैं, जहां बीएसएफ का दायरा बढ़ने का सबसे ज्यादा असर होगा। रंधावा के मुताबिक उन्होंने शुक्रवार देर रात से दौरे शुरू किए और अभी तक कहीं भी ऐसा देखने को नहीं मिला कि स्थानीय सुरक्षा तंत्र जरा सी भी ढिलाई बरत रहा हो। केंद्र सरकार महज दबाव बनाने के लिए अर्धसैनिक बल का कार्यक्षेत्र बढ़ा रही है।
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गौरतलब है कि यह मामला दिन-ब-दिन पंजाब के बहुतेरे लोगों के लिए इसलिए भी संवेदनशील होता जा रहा है कि बीएसएफ को मिली शक्तियों के तहत अब यह श्री स्वर्ण मंदिर साहिब, दुर्गियाना मंदिर और श्री राम तीरथ तक में बगैर नागरिक प्रशासन को विश्वास में लिए जा सकेगा। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल इसे मुख्य आधार बनाकर केंद्र के खिलाफ हमलावर हैं।
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पूर्व मंत्री और वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया भी केंद्र के फैसले के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। मजीठिया का कहना है कि शिरोमणि अकाली दल इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करेगा और केंद्र के खिलाफ कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां देंगे। दिल्ली में भी धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। उनका कहना है कि राज्य के लोगों को समझना चाहिए कि केंद्र का नोटिफिकेशन लागू होते ही हमारे प्रमुख धार्मिक स्थल भी बीएसएफ के दायरे में आ जाएंगे।
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