कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर ध्यान भटकाने की साजिश कर अतिपिछड़े, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के हक को मारने के आरोप लगाए हैं। राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि हम बीजेपी की साजिश को नाकाम कर उनके हक दिलाने के लिए पूरी तरह से संकल्पित हैं। राहुल गांधी का यह बयान महागठबंधन के नेताओं के द्वारा बुधवार को पटना में 'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र' जारी करने के एक दिन बाद आया है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह अति पिछड़ों की बराबरी और सम्मान की लड़ाई है तथा यही सच्चा सामाजिक न्याय है।
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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "बीजेपी चाहे जितने भी झूठ और ध्यान भटकाने की साज़िश करे, हम अतिपिछड़े, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े समाज को उनका पूरा हक दिलाने के लिए संकल्पित हैं।"
उन्होंने कहा कि बिहार में अतिपिछड़ा समाज को मजबूत बनाने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र’ में ठोस वादे किए गए हैं।
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राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा इन समुदायों की प्रगति का सबसे बड़ा साधन है, इसलिए इस क्षेत्र में उनकी पहुंच बढ़ाने के लिए विशेष संकल्प लिए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अब निजी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में भी आरक्षण लागू होगा, निजी स्कूलों की आरक्षित आधी सीटें एससी /एसटी/ओबीसी/ईबीसी बच्चों को मिलेंगी और नियुक्तियों में “उपयुक्त नहीं मिला” जैसी अन्यायपूर्ण व्यवस्था खत्म होगी।’’
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राहुल गांधी ने कहा कि यह सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि अति पिछड़ों की बराबरी और सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि यही सच्चा सामाजिक न्याय और समान विकास की गारंटी है।
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गौरतलब है कि महागठबंधन का चुनाव घोषणा-पत्र बुधवार को पटना में जारी किया गया। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे, राहुल गांधी, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी और सीपीआई माले के सांसद सुदामा प्रसाद शामिल हुए थे।
चुनाव घोषणा-पत्र के पहले हिस्से में महागठबंधन ने अतिपिछड़ा वर्ग के लिए 10 वादे किए हैं, जिनमें पंचायत और स्थानीय निकायों में 30 फीसदी आरक्षण, एससी-एसटी की तरह ‘अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण कानून’, आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाना तथा 25 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों और आपूर्ति कार्यों में अतिपिछड़ा, पिछड़ा, अनुसूचित जाति (एसटी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान आदि प्रमुख है।
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पीटीआई के इनपुट के साथ
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