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राजस्थान की ‘हदिया’ को हाईकोर्ट ने भेजा पति फैज के घर, दक्षिणपंथियों ने की वकीलों से हाथापाई

राजस्थान की ‘हदिया’ यानी आरिफा उर्फ पायल को हाईकोर्ट ने उसके पति फैज मोदी के साथ रहने की इजाजत दे दी है। 

प्रतिनिधि फोटो
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जोधपुर के जलोरी गेट इलाके में बेहरू बाग मंदिर के पास सरदार चिल्ड्रन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में फैज मोदी अपनी क्लास में अकेला मुस्लिम छात्र था। फैज और पायल सिंघवी की इसी स्कूल में सातवीं क्लास से दोस्ती हो गई। दोनों को उस वक्त इस बात का एकदम अंदाजा नहीं था कि दोनों की दोस्ती एक दिन दोनों के विवाह में बदल जाएगी।

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फोटो : सोशल मीडिया

जोधपुर से फोन पर बात करते हुए फैज कहते हैं कि, “हमारे परिवारों को हमारे रिश्ते के बारे में तब पता चला जब हम दसवीं कक्षा में आ गए। दोनों की खूब डांट पड़ी थी। यह पहला मौका था जब हमें पता चला कि हमारे परिवार हमारे रिश्ते को मंजूर नहीं करेंगे। लेकिन उस वक्त हमें भी नहीं पता था कि हम शादी करेंगे।”

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दोनों ने 14 अप्रैल को इस्लामिक रीति-रिवाज से शादी कर ली। पायल इस तरह आरिफा बनकर फैज की पत्नी बन गई। शादी के बाद आरिफा उर्फ पायल के परिवार ने पुलिस से शिकायत की और बाद में उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट में अर्जी देकर इसे शादी के लिए जबरदस्ती का धर्मपरिवर्तन करार दिया और फैज पर अपहरण का आरोप लगाया।

हाईकोर्ट ने पहली नवंबर को राजस्थान पुलिस को आरिफा को पेश कर नारी निकेतन भेजने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई 7 नवंबर को तय कर सरकार से कहा कि वह अपना यह जवाब दाखिल करे कि क्या यह शादी और धर्मपरिवर्तन गैरकानूनी है या नहीं।

7 नवंबर यानी मंगलवार को जब मामले की सुनवाई हुई तो राजस्थान हाईकोर्ट ने आरिफा उर्फ पायल के मौलिक अधिकारों को स्वीकार करते हुए उसे अपनी मर्जी से अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने और उसके साथ रहने की इजाजत दे दी। आरिफा ने कोर्ट को बताया कि उसने अपनी मर्जी से फैज मोदी से शादी की है और वह उसी के साथ रहना चाहती है।

आरिफा उर्फ पायल के परिवार की तरफ से उसके भाई चिराग ने हाईकोर्ट में अर्जी दी थी कि फैज ने उसकी बहन का अपहरण कर लिया है और उस पर मुकदमा चलाया जाए। चिराग के वकील ने अदालत में इस मामले को लव जिहाद का नाम दिया था। लेकिन हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास और न्यायाधीश मनोज गर्ग ने ऐसा मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि महज 10 रुपए के स्टांप पेपर पर धर्म परिवर्तन नहीं होता। और अगर ऐसा होता है तो “कल को मैं खुद को गोपाल मोहम्मद बना सकता हूं।”

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फोटो : सोशल मीडिया

हाईकोर्ट ने एक बार फिर आरिफा उर्फ पायल से पूछा कि क्या उस पर कोई दबाव है या उसे कोई धमकी दी गई है। पायल ने इससे इनकार करते हुए साफ कहा कि उसने अपनी मर्जी से फैज से शादी की है और वह उसी के साथ रहना चाहती है।

रोचक तथ्य यह है कि आरिफा उर्फ पायल के परिवार ने भी अदालत में माना कि दोनों बचपन के दोस्त हैं और साथ-साथ पढ़ते थे। इसके बाद अदालत ने दोनों को पुलिस सुरक्षा में फैज के घर भिजवाने के आदेश दिए।

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फोटो : सोशल मीडिया

इस के आदेश के बाद हाईकोर्ट के बाहर तनाव का माहौल पैदा हो गया क्योंकि दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ता आरिफा उर्फ पायल को फैज के घर भेजे जाने का विरोध कर रहे थे। इन लोगों ने नारेबाजी के साथ ही आरिफा के वकील से हाथापाई की कोशिश भी एक सीनियर वकील से हाथापाई के विरोध में वकीलों की एसोसिएशन ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।

फैज कहते हैं कि, “स्कूल के बाद हमने अपनी जिंदगी साथ गुजारने का फैसला किया था, लेकिन जल्दबाजी में शादी इसलिए करना पड़ी क्योंकि मेरी पत्नी के घर वाले उसकी शादी बैंगलोर में रहने वाले एक ऐसे शख्स के साथ करना चाहते थे, जो उससे उम्र में दस साल बड़ा था। इसलिए हमने चुपचाप शादी करने का फैसला कर लिया। हमने चुपचाप एक मौलवी के पास जाकर निकाह पढ़ लिया। दोनों परिवारों को कुछ पता नहीं था, क्योंकि वे हमारे रिश्ते को मानने वाले नहीं थे।”

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फोटो : सोशल मीडिया

22 साल की आरिफा उर्फ पायल पोस्ट ग्रेजुएट है जबकि 24 वर्षीय फैज ने ग्रेजुएशन किया है। फैज बताते हैं कि, “मैंने ग्रेजुएशन के बाद कॉलेज छोड़ दिया था क्योंकि मैं अपनी पत्नी के साथ जिंदगी गुजारने के लिए कारोबार करना चाहता था। इसलिए मैंने अपने घर के पास रेडीमेड कपड़ों की एक दुकान खोल ली थी, जिससे मुझे करीब 20 हजार रुपए महीने की आमदनी होने लगी थी।”

शादी के फौरन बाद आरिफा उर्फ पायल सीधे फैज के घर नहीं आई। फैज कहते हैं कि दिन में दोनों साथ रहते और रात को पायल अपने घर चली जाती। ऐसा अक्टूबर तक करीब 6 महीने चलता रहा। इसके बाद दोनों ने हनीमून पर जाने का फैसला किया। इसके लिए दोनों ने कानूनी तौर पर ही यात्रा करने की योजना बनाई। फैज कहते हैं कि, “हम पुलिस थाने गए और अपनी शादी की बात बताई। हमने पुलिस कमिश्नर से भी मुलाकात की थी।”

दोनों अपने रिश्ते के करीब 10 साल बाद पहली बार दोनों एक सप्ताह के लिए साथ नहीं थे। फैज ने बताया कि, “मामला शांत होने और आसानी से निपट जाने के लिए मैं रोजे रख रहा था और अल्लाह से दुआ मांग रहा था। आज जब आरिफा उसके पास वापस आई है तो उसने बताया कि वह भी नारी निकेतन में रोजे रख रही थी और दुआ कर रही थी।”

फिलहाल दोनों की हैप्पी एंडिंग हो गई है।

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