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'खादी, खाकी और अपराधी का गठजोड़ तोड़ना जरूरी, नहीं तो आगे भी विकास दुबे पैदा होते रहेंगे'

संतोष शुक्ला के भाई ने कहा कि जब तक खाकी खादी और अपराधी का गठजोड़ नहीं टूटेगा, तब तक यह प्रक्रिया समाप्त होंने वाली नहीं है। जैसे अपराधी का एनकांउटर होता है। विभिन्न दलों के लोग सवाल उठाते हैं। सभी दलों के लोग जब तक अपराधियों को संरक्षण देना बंद नहीं करेंगे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

'कानपुर वाला विकास दुबे' अब इस दुनिया में नहीं है। एक दुर्दांत अपराधी का जो हश्र होना चाहिए, वह उसका भी हुआ। शुक्रवार को पुलिस एनकाउंटर में वह मारा गया। विकास का अपराध का इतिहास 30 साल पुराना था। शुरूआत में वह छोटे-मोटे अपराध किया करता था लेकिन 2001 में उसने चौबेपुर के शिवली पुलिस स्टेशन के अंदर तत्कालीन श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त बीजेपी के बड़े नेता-संतोष शुक्ला की दिनदहाड़े हत्या कर खूब सुर्खियां बटोरीं। सबूतों के अभाव में इस जघन्य अपराध के लिए उसे सजा तक नहीं हो सकी।

Published: 11 Jul 2020, 12:58 PM IST

अब 2 जुलाई को अपने गांव में दबिश देने आए पुलिस दल पर हमला करके आठ पुलिसवालों की बर्बर हत्या करने वाले विकास दुबे को उसके किए की सजा मिल चुकी है। संतोष शुक्ला के परिवार को लगता है कि उनकी आत्मा को आज जाकर शांति मिली है लेकिन अगर खादी, खाकी और अपराधी के गठजोड़ को नहीं तोड़ा गया तो आगे भी विकास दुबे पैदा होते रहेंगे और इसी तरह समाज के रक्षकों की जान जाती रहेगी।

Published: 11 Jul 2020, 12:58 PM IST

विकास का शुक्रवार को ही भैरवघाट श्मशान गृह में अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद आईएएनएस ने संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला से विशेष बातचीत की। शुक्ला ने कहा, " 19 साल हम लोग घुट-घुट के जी रहे थे। भगवान के यहां देर है-अंधेर नहीं। अपराधी पाप करता चला गया और पाप का जब घड़ा भर गया तो उसे किए की सजा मिल गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस के तेज तर्रार अफसरों को बधाई। हालांकि मैं इसे बिकरू गांव में शहीद और घायल पुलिसवालों को सच्ची श्रद्धांजलि तो नहीं कहूंगा। पूरी श्रद्धांजलि तब होगी जब उसके पूरे गिरोह को सजा मिलेगी या उसका खात्मा होगा।"

Published: 11 Jul 2020, 12:58 PM IST

साल 2001 की घटना को याद करते हुए मनोज ने बताया कि तत्कालीन नगर पंचायत लल्लन के घर को विकास दुबे ने घेर रखा था। इसकी जानकारी होने पर मेरे भाई संतोष शुक्ला थाने गए, जिससे वो पुलिस की मदद लल्लन तक भेज सकें। इसकी जानकारी होने पर विकास दुबे थाने पहुंचा और वहां उनकी हत्या कर दी। उस समय थाने में 25 सिपाही और 5 सब इंस्पेक्टर थे लेकिन जब मुकदमा चला तो किसी ने भी गवाही नहीं दी। वह बरी हो गया। वहीं से इसकी कार्यशैली बदल गयी। बड़ा अपराधी बन गया। शिवली थाने ने जो पौधा लगाया था, वो बड़ा वटवृक्ष बन गया था।

Published: 11 Jul 2020, 12:58 PM IST

गवाही न देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में राज्यमंत्री की हत्या हुई। 5 महीने बाद अपराधी हाजिर हुआ। उस समय कुछ दलों के माननीय साथ में थे। आस-पास के लोग दहशत में आ गये। पुलिस पकड़ नहीं पायी। सभी गवाह मुकर गये। वह बरी हो गया। धीरे-धीरे बड़ा अपराधी बन गया। अगर उन लोगों ने उस दौरान कोई स्टैंड लिया होता, तो बिकरू गांव में 2 जुलाई को घटी घटना को रोका जा सकता था क्योंकि कोई विकास दुबे पैदा ही नहीं होता।

Published: 11 Jul 2020, 12:58 PM IST

शुक्ला ने बताया कि मुकदमा सरकार बनाम अपराधी होता है। वादी एफआईआर लिखा सकता है। गवाही दे सकता है लेकिन हाईकोर्ट नहीं जा सकता है। यह उस समय का नियम था। उस समय वादी केस को आगे नहीं बढ़ा सकता था। इस केस को आगे बढ़ाने के लिए डीएम, एसपी, सचिवालय हर जगह दौड़ता रहा, किसी ने कोई मदद नहीं। इस कारण यह केस आगे नहीं बढ़ सका।

Published: 11 Jul 2020, 12:58 PM IST

उन्होंने कहा कि जब तक खाकी खादी और अपराधी का गठजोड़ नहीं टूटेगा, तब तक यह प्रक्रिया समाप्त होंने वाली नहीं है। जैसे अपराधी का एनकांउटर होता है। विभिन्न दलों के लोग सवाल उठाते हैं। सभी दलों के लोग जब तक अपराधियों को संरक्षण देना बंद नहीं करेंगे। पुलिस विभाग के विभिषण जब तक दूरी नहीं बनाएंगें, तब तक इसी तरह का कृत्य होता रहेगा। अपराधियों को बल मिलता रहेगा।

Published: 11 Jul 2020, 12:58 PM IST

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Published: 11 Jul 2020, 12:58 PM IST