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विपक्ष की एकजुटता के आगे धरी रह गई मोदी सरकार की रणनीति, तीन तलाक बिल पेश हुए बगैर राज्यसभा 2 जनवरी तक स्थगित

तीन तलाक बिल पेश हुए बगैर राज्यसभा की कार्यवाही 2 जनवरी तक स्थगित हो गई है। इससे पहले कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे पहले सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

तीन तलाक को आपराधिक घोषित करने वाले कानून पर सोमवार को मोदी सरकार की सारी रणनीति उस समय धरी रह गई, जब कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट विपक्ष के भारी विरोध की वजह से बगैर बिल पेश हुए राज्यसभा की कार्यवाही 2 जनवरी तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। कुल मिलाकर लोकसभा से पास होने के बाद तीन तलाक सोमवार को भी राज्यसभा में पेश नहीं हो सका। इससे पहले बिल पर सदस्यों के विरोध को देखते हुए सदन की कार्यवाही दो बार थोड़ी-थोड़ी देर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

राज्यसभा स्थगित होने से पहले कांग्रेस ने बिल का जोरदार ढंग से विरोध करते हुए इसे पारित करने से पहले सलेक्ट कमिटी में भेजने की मांग की। राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर बोलते हुए नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह बिल काफी अहम है और करोड़ों लोगों की जिंदगी से जुड़ा है। उन्होंने कहा, “यह बिल काफी अहम है, लेकिन इसे ना तो स्टैंडिंग कमिटी को भेजा गया, ना तो सेलेक्ट कमिटी को भेजा गया। इसलिए इस बिल को बगैर सेलेक्ट कमिटी को भेजे पारित नहीं किया जाना चाहिए।”

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मीडिया से बात करते हुए तीन तलाक बिल पर पार्टी के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि “कांग्रेस अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुकी है और वह उस पर अडिग है।”

राज्यसभा में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी बिल का विरोध करते हुए कहा कि कई विपक्षी दलों की मांग है कि इस बिल को पहले सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए। उन्होंने कहा कि कई विपक्षी दलों ने इसके लिए नोटिस भी दिया है। बीजू जनता दल के नेता प्रसन्न आचार्य ने भी कहा कि बिल को पारित होना चाहिए, लेकिन इस बिल में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। हम बिल को सुधार के बाद जल्द से जल्द पारित करवाना चाहते हैं।

बता दें कि इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद विपक्ष के रुख को देखते हुए पीएम मोदी ने ट्रिपल तलाक बिल पर रणनीति बनाने के लिए संसद में ही एनडीए नेताओं की एक बैठक भी बुलाई। इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत कई अन्य नेता भी शामिल हुए। लेकिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सरकार की सारी रणनीति धरी रह गई और विपक्ष के हंगामे को देखते हुए राज्यसभा को 2 जनवरी तक स्थगित करना प़ड़ा।

बता दें कि इस बिल के मद्देनजर बीजेपी और कांग्रेस समेत कई दलों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सोमवार को सदन में मौजूद रहने का आदेश दिया था। कई दलों ने अपने सांसदों को सख्ती के साथ सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा था।

गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा लोकसभा से पारित तीन तलाक बिल में एक साथ तीन तलाक बोलने वाले शख्स को तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। वहीं इस बिल में पीड़ित महिलाओं की आर्थिक मदद का कोई प्रावधान भी नहीं है। विपक्षी दलों की मांग है कि आपराधिक कानून होने के कारण इस बिल को सदन में पेश किए जाने से पहले इसे सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाना चाहिए।

Published: 31 Dec 2018, 3:27 PM IST

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Published: 31 Dec 2018, 3:27 PM IST