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रामलीला मैदान में किसान और मजदूर संगठनों की संघर्ष रैली, मोदी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

एआईकेएस मोर्चा ने कहा कि हमारा सवाल देश की नरेंद्र मोदी सरकार से है कि दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि आखिर वह नौकरी कहां गईं और कितने लोगों को नौकरी दी गई है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

केंद्र की नीतियों के विरोध में दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के अलग-अलग राज्यों से आए किसान और मजदूर संगठनों ने एक संघर्ष रैली का आयोजन किया है। बुधवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में मजदूर किसान संगठन रैली में बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग राज्यों से किसान और मजदूर पहुंचे हैं। रैली का आयोजन अखिल भारतीय किसान सभा, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन ने संयुक्त रूप से किया है। इस रैली में देशभर से आए किसान, मजदूर और खेत मजदूरों के साथ आशा, आंगनवाड़ी और मनरेगा वर्कर्स भी शामिल हैं।

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इस प्रदर्शन को देखते हुए एआईकेएस मोर्चा की तरफ से कहा जा रहा है कि हमारा सवाल देश की नरेंद्र मोदी सरकार से है कि दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि आखिर वह नौकरी कहां गईं और कितने लोगों को नौकरी दी गई है। आज देश में दिहाड़ी मजदूरों का एक बड़ा मुद्दा भी है।

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वहीं सीपीआईएम ने ट्वीट करते हुए लिखा, सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये प्रति माह और पेंशन 10,000 रुपये सुनिश्चित करें। ठेके पर कोई काम नहीं चलेगा। अग्निपथ योजना को वापस लो।

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किसान सभा ने ट्वीट कर कहा, आदिवासियों से उनका वन तथा भूमि का अधिकार छीना जा रहा है और इसे कॉपोर्रेट को सौंपा जा रहा है। किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। ऐसे समय में जब मनरेगा के तहत काम की मांग लगातार बढ़ रही थी, सरकार ने इसके लिए आवंटन में भारी कमी कर दी है।

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पश्चिम बंगाल से आए कर्मचारियों ने अपनी मांगों में कहा कि सरकारी कर्मचारियों पर तानाशाही हमले बंद करो। वहीं असम और पंजाब की आशा कार्यकर्ता अपने-अपने राज्यों की समस्याओं पर चर्चा की। इस रैली-प्रदर्शन के माध्यम से देश के मेहनतकश मजदूरों ने अपनी मांगों दोहराया। इसमें न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये प्रति माह और पेंशन 10,000 रुपये प्रतिमाह सुनिश्चित करने की मांग की। साथ ही केंद्र से कानूनी रूप से गांरंटीकृत खरीद (एमएसपी), सभी कृषि उत्पादों के लिए सीटू प्लस 50 प्रतिशत पर आधारित एमएसपी सुनिश्चित करने की भी मांग की।

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रामलीला मैदान और उसके आस पास सेंट्रल दिल्ली की सड़कें किसान मजदूरों से पटा हुआ है। वे हाथ में लाल झंडों और बैनर लिए हुए चल रहे हैं। इस रैली को देखते हुए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की तरफ से कई रूटों को डायवर्ट भी किया गया है। साथ ही प्रदर्शनकारियों के मद्देनजर रामलीला मैदान के आसपास भारी संख्या में अर्धसैनिक बल, दिल्ली पुलिस के जवान और ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया गया है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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