बिहार के मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष की मंगलवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्यार भरी तकरार भी देखने को मिली। इस बैठक में सभी विपक्षी दलों ने भाग लिया। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी इसमें शामिल हुए। उन्होंने सरकार के स्वास्थ्य और आपदा विभाग की ओर से जारी आंकड़ों और प्रस्तुतीकरण पर सवाल उठा सरकार को अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
Published: 06 May 2020, 3:30 PM IST
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने में जनप्रतिनिधियों को दरकिनार किया जा रहा है। अधिकारी जनप्रतिनिधियों की सुनते नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राहत और बचाव कार्यों में जनप्रतिनिधियों की सेवा ली जाए ताकि अधिकारी मनमानी ना कर सके। उन्होंने कहा कि इसमें Check & Balance रहना चाहिए। तेजस्वी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों पर विश्वास कर उन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी जाए। नेता प्रतिपक्ष के सुझाव का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी देने का आश्वासन दिया है।
Published: 06 May 2020, 3:30 PM IST
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिहार सरकार राज्य में कोरोना की कम संख्या को लेकर अपनी पीठ ना थपथपाए। जब बिहार में कोरोना की जांच ही सबसे कम हो रही है तो जाहिर है मामले भी कम ही होंगे। दूसरे राज्यों में अधिक जांच हो रही है इसलिए वहां अधिक मामले सामने आ रहे हैं। बिहार में औसतन 1200 से 1300 ही जांच हो रही है जबकि प्रतिदिन इसे बढ़ाकर 3000 से 5000 करना चाहिए। बिहार में विगत 60 दिनों में अब तक कुल 28345 ही जांच हुई है, अर्थात् औसतन 10 लाख लोगों पर केवल 224 लोगों की ही जांच हो रही है।
तेजस्वी यादव ने सरकार को सुझाव दिया कि हर कमीशनरी में कोरोना समर्पित अस्पताल संचालित करने चाहिए। रेंडम जांच की व्यवस्था भी होनी चाहिए। जब बिना लक्षण के ही लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए जा रहे है तो फिर डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग का ज़्यादा महत्व नहीं रह जाता। इसलिए प्रदेश में जांच की संख्या हर हाल में बढ़ाई जाए। उन्होंने बताया कि नोडल अधिकारियों के नंबर बंद है। हेल्पलाइन सीमित है। पंजीकरण पोर्टल का लिंक डाउन है। मदद के लिए जारी किए गए लैंडलाइन नंबर लगते नहीं है, और जब लगते हैं तो अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता हैं।
Published: 06 May 2020, 3:30 PM IST
इसमें मेरा एक सुझाव और सरकार से निवेदन है की अप्रवासियों की परेशानियों को देखते हुए IVR सिस्टम वाले टेलीफ़ोन नंबर जारी करे ताकि लोग अपनी विवरणी कॉल के माध्यम से दर्ज कर सकें। उन्होंने कहा कि ज़्यादातर मज़दूर भाई कम पढ़े लिखे हैं इसलिए उनको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में दिक़्क़त हो रही है। इसके अलावा वेबसाइट खुल भी नहीं रही है। दक्षिण भारत में फंसे अप्रवासियों के लिए भाषा भी एक बाधा है।
नेता प्रतिपक्ष ने केंद्रीय गृह सचिव के 3 मई के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार के नए आदेश से बिहारी अप्रवासी मज़दूर भाईयों की वापसी में अड़चन पैदा होगी। बिहार की डबल इंजन सरकार इस आदेश में तब्दीली करवाएं वैसे भी सरकार कहती है कि केंद्र सरकार इनकी हर मांग को मानती है।
Published: 06 May 2020, 3:30 PM IST
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार से पूछा कि वह बताएं कि बिहार के श्रमवीर कब तक वापस आएंगे? कितने दिन में वापस आएंगे और कितनी ट्रेनों में वापस आएंगे। उन्होंने आंकड़ा देकर बताया की भारतीय रेलवे के पास 12000 से अधिक रेलगाड़ियां हैं और सारी अभी ख़ाली खड़ी है। बिहार सरकार क्यों नहीं ज्यादा से ज्यादा संख्या में उन रेलगाड़ियों से बिहारीवासियों को जल्द से जल्द वापस बुलवाती? उन्होंने अप्रवासी मज़दूर भाईयों को यात्रा से पहले किराया देने का आग्रह किया।
Published: 06 May 2020, 3:30 PM IST
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Published: 06 May 2020, 3:30 PM IST