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"महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े चिंताजनक", शरद पवार बोले- मदद के लिए नीति बनाए केंद्र सरकार

महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास मंत्री मकरंद जाधव पाटिल ने सोमवार, 10 मार्च को पुष्टि की कि 56 महीनों में औसतन हर रोज़ आठ किसानों ने आत्महत्या की। वे विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान एनसीपी एमएलसी द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

शरद पवार ने महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की
शरद पवार ने महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की फोटोः सोशल मीडिया

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को मराठवाड़ा और विदर्भ में किसानों की आत्महत्या के मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि केंद्र को किसानों की मदद के लिए नीति लानी चाहिए।

पवार का यह बयान राज्य राहत एवं पुनर्वास विभाग द्वारा जारी आंकड़ों की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें खुलासा हुआ है कि 2024 में महाराष्ट्र में 2,635 किसानों ने आत्महत्या की है।

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उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मराठवाड़ा और विदर्भ से जो जानकारी आई है, वह चिंताजनक है। हम विभिन्न स्थानों से सटीक आंकड़े एकत्र करेंगे। केंद्र को किसानों की मदद के लिए नीति तैयार करनी चाहिए।’’

एनसीपी (एसपी) नेता जयंत पाटिल के अजित पवार के नेतृत्व वाले पार्टी के गुट में शामिल होने की अटकलों पर वरिष्ठ नेता ने कहा कि पाटिल पहले ही मीडिया को अपना बयान दे चुके हैं।

पाटिल ने शुक्रवार को बारामती में एक कार्यक्रम में एनसीपी (एसपी) प्रमुख से मुलाकात की थी और बाद में कहा था कि वह परेशान नहीं हैं और उनके बयान से गलत निष्कर्ष निकाला गया है।

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पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री पवार ने कहा कि खेती में क्रांति आ रही है और जल्द ही गन्ने की खेती में कृत्रिम मेधा (एआई) का इस्तेमाल किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘एआई तकनीक का इस्तेमाल गन्ने की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। एआई खेती की प्रक्रिया में कई चीनी मिल हिस्सा लेंगी। चीनी मिलों के कुछ अधिकारियों के साथ आज शाम एक बैठक होने वाली है। जल्द ही एक क्रांतिकारी निर्णय लिया जाएगा और खेती में एआई का इस्तेमाल जल्द ही शुरू हो जाएगा।’’

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पवार ने कहा कि बीड, जो सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के लिए चर्चा में रहा है, कभी एक शांतिपूर्ण जिला था।

उन्होंने कहा, ‘‘बीड में स्थिति कभी ऐसी नहीं थी। यह कभी शांतिपूर्ण जिला था। बीड से मेरी पार्टी के छह लोग चुने गए। हालांकि, उनमें से कुछ ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और हम इसके परिणाम देख रहे हैं।’’

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गौरतलब है कि, महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास मंत्री मकरंद जाधव पाटिल ने सोमवार, 10 मार्च को पुष्टि की कि 56 महीनों में औसतन हर रोज़ आठ किसानों ने आत्महत्या की। वे विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान एनसीपी एमएलसी शिवाजीराव गरजे द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

मंत्री द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 में मराठवाड़ा संभाग में 952, अकोला में 168, वर्धा में 112, बीड में 205 और अमरावती संभाग में 1,069 किसानों ने अपनी जान दी।

मंत्री ने बताया कि 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2024 के बीच छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन में 952 किसानों ने आत्महत्या की।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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