गुजरात में मोरबी पुल हादसे को लेकर राजनीति तेज हो गई है। हादसे के बाद पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। पुल गिरने की घटना में कम से कम 141 लोगों की मौत हो गई है।
पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री स्नेहासिस चक्रवर्ती के अनुसार, यह दुर्घटना गुजरात में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा, "जब भी पश्चिम बंगाल में कुछ भी होता है, बीजेपी की केंद्रीय तथ्य खोजने वाली टीम राज्य का दौरा करती है। अब मैं यहां राज्य के बीजेपी नेताओं से सवाल करना चाहूंगा कि क्या वे अब इसी तरह की टीम गुजरात भेजेंगे। वे हमेशा पश्चिम बंगाल में गलती खोजने वाले मिशन में रहते हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य पश्चिम बंगाल में राज्य प्रशासन को परेशान करना है। मेरी उन्हें सलाह है कि पहले गुजरात में चीजों पर नियंत्रण रखें और फिर पश्चिम बंगाल के बारे में सोचें।"
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तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक तापस रॉय ने कहा कि यह दुर्घटना इस बात का उदाहरण है कि स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, पुलों की गुणवत्ता और शानदार ढांचागत विकास के बारे में बीजेपी और गुजरात सरकार के दावे कितने खोखले थे। उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि उन्हें अभी क्या दावा करना है। इस पर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुल की जांच से पहले जनता के लिए इसे खोलना जायज था?"
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उधर पश्चिम बंगाल में राज्य बीजेपी के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने तृणमूल कांग्रेस नेता के आलोचना को खारिज करते हुए कहा, "अगर तृणमूल कांग्रेस के नेता और मंत्री सिविल इंजीनियरिंग की पूर्णता के बारे में इतने सतर्क होते, तो उनकी नेता और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को कोलकाता ईस्ट-वेस्ट मेट्रो का मार्ग बदलने के लिए मजबूर नहीं करतीं।"
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भट्टाचार्य ने कहा, "मार्ग परिवर्तन के कारण भीड़भाड़ वाले बाउबाजार क्षेत्र के घरों में अक्सर दरारें आ जाती थीं, जिससे वहां के निवासी असहाय हो जाते थे। गुजरात में जो हुआ वह निस्संदेह दुखद है।"
भट्टाचार्य 31 मार्च, 2016 को उत्तरी कोलकाता में निर्माणाधीन विवेकानंद रोड फ्लाईओवर के 490 फीट के स्टील स्पैन के ढहने का जिक्र कर रहे थे, जिसमें 27 लोग मारे गए थे।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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