उन्नाव बलात्कार मामले के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी गई थी, लेकिन चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने के कारण वह तिहाड़ जेल वापस लौट आया है। यह जानकारी उसके वकील ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को दी।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ को वकील से पता चला कि सेंगर ने 24 जनवरी को आत्मसमर्पण कर दिया और जेल लौट आया, क्योंकि उसकी आंख की सर्जरी करने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सर्जन 30 जनवरी तक उपलब्ध नहीं हैं।
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वकील ने कहा कि मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा सेंगर अपनी मोतियाबिंद की सर्जरी को लेकर चिकित्सा आधार पर जमानत के अनुरोध के लिए 28 या 29 जनवरी को फिर से अदालत का रुख करेगा।
अदालत ने वकील से कहा कि वह यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामले में सेंगर की अपील पर बहस शुरू करें और फरवरी में इस पर सुनवाई होगी।
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अदालत ने 22 जनवरी को मामले में चिकित्सा आधार पर उसे अंतरिम जमानत दी थी। पीठ ने उसे अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद 27 जनवरी से पहले आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर 24 जनवरी को सर्जरी नहीं हुई तो सेंगर को उसी शाम आत्मसमर्पण करना होगा।
पीड़ित के पिता की हिरासत में मौत से संबंधित मामले में भी सेंगर हिरासत में है। उस मामले में 10 साल की जेल की सजा को निलंबित करने की उसकी याचिका एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है।
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स्वास्थ्य कारणों से उसे दिसंबर 2024 में दो सप्ताह की अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसे बाद में एक महीने के लिए और बढ़ा दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने हालांकि 20 जनवरी को जमानत अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया। उसी दिन उसे आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था।
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सेंगर के वकील ने इस आधार पर 30 दिनों की अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था कि उसे एम्स में मोतियाबिंद की सर्जरी कराने की सलाह दी गई है और उसे 24 जनवरी को भर्ती होना है, जिसे सीबीआई ने सत्यापित किया था।
पीड़ित के वकील ने याचिका का विरोध किया और दलील दी कि सेंगर को लगातार अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि पीड़ित और उसके परिवार को आरोपी से धमकियां मिली थीं।
सेंगर ने नाबालिग लड़की का कथित रूप से अपहरण कर उससे बलात्कार किया था। बाद में सेंगर को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से निष्कासित कर दिया गया था।
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