
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस संदर्भ में एक प्रस्ताव बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। इससे पहले जेपीसी की बैठक में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने 29 नवंबर को ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश करने के चेयरमैन के फैसले पर असहमति जाहिर की। हंगामे के बीच विपक्षी दलों के सदस्यों ने जेपीसी के एक्सटेंशन की मांग करते हुए मीटिंग का बहिष्कार कर दिया।
हालांकि बैठक में सर्वसम्मति से यह तया किया गया कि जेपीसी की कार्यकाल बढ़ाया जाए।बैठक में एक प्रस्ताव के माध्यम से निर्णय लिया गया कि समिति लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह करेगी कि समिति का कार्यकाल अगले साल के बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाया जाए।
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समिति ने कार्यकाल बढ़ाने का कदम ऐसे समय उठाने का फैसला किया है जब हाल ही में पाल ने कहा था कि रिपोर्ट तैयार है। सरकार की तरफ से भी पहले कहा गया था कि संसद के शीतकालीन सत्र में वक्फ (संशोधन) विधेयक लाया जाएगा।
पाल ने बैठक के बाद बुधवार को कहा कि सदस्यों की राय थी कि कई राज्यों के अधिकारियों को अभी बुलाया जाना है, ऐसे में समिति का कार्यकाल कुछ समय के लिए बढ़ाए जाने का आग्रह किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘छह राज्य ऐसे हैं जहां कई सरकारी संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड खुद का दावा कर रहे हैं। इस बारे में हमने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव से पूछा था। सचिव ने कहा कि जवाब मांगा गया है कि लेकिन उनसे जवाब नहीं आया है।’’
पाल का कहना था कि राज्यों के अल्पसंख्यक मामलों के सचिवों और मुख्य सचिवों को बुलाया जाना है।
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद और समिति की सदस्य अपराजिता सारंगी ने कहा कि समिति लोकसभा अध्यक्ष से 2025 के बजट सत्र के आखिरी दिन तक सदन में अपनी रिपोर्ट जमा करने का समय बढ़ाने का अनुरोध करेगी। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि समिति का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव बृहस्पतिवार को सदन में आ सकता है।
लोकसभा ने समिति को (गत सोमवार से शुरू हुए) संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा था।
इससे पहले, समिति में शामिल विपक्षी सदस्य बुधवार को समिति की बैठक से यह आरोप लगाते हुए बाहर निकल गए थे कि इसकी प्रक्रिया मजाक बनकर रह गई है। हालांकि, वे यह संकेत मिलने पर एक घंटे बाद बैठक में वापस लौट आए कि समिति अध्यक्ष जगदम्बिका पाल कार्यकाल विस्तार की मांग करेंगे।
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कांग्रेस के गौरव गोगोई, डीएमके के ए. राजा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल के आचरण का विरोध किया और आरोप लगाया कि वह उचित प्रक्रिया पूरी किए बिना 29 नवंबर की समयसीमा तक इसकी कार्यवाही पूरी करने के इच्छुक हैं।
गोगोई ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संकेत दिया था कि समिति का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कोई ‘‘बड़ा मंत्री’’ पाल को निर्देशित कर रहा है। तृणमूल सांसद बनर्जी ने कहा, ‘‘यह एक मजाक है।’’
समिति की अब तक 25 से अधिक हुई बैठकों में कई मौकों पर पाल और विपक्षी सदस्यों के बीच गतिरोध देखने को मिला है।
विपक्षी सदस्यों ने पाल पर मनमाने ढंग से काम करने का आरोप लगाया था जिसका भाजपा सांसद ने खंडन किया था।
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सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था।
इस विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है, जिनमें वक्फ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है।
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वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, विधेयक में यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं।
यह संशोधन विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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