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इलाहाबाद से प्रयागराज: क्या अब बैंक, हाई कोर्ट और शायरों के नाम भी बदले जाएंगे?

इलाहाबाद अब प्रयागराज हो गया है। भक्त खुश हैं, लेकिन पुराने इलाहाबादियों के साथ ही सोशल मीडिया पर कुछ दिलचस्प सवाल उठाए जा रहे हैं। क्या अब किताबों में, फिल्मों में बदले जाएंगे गीतों, गज़लों के नाम।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

इलाहाबाद को अब प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा। अगले साल होने वाले कुंभ मेले से पहले ही इस ऐतिहासिक शहर का नाम बदल दिया गया है। मोदी सरकार ने शहर के नए नामकरण पर मुहर लगा दी है, इसके साथ ही कई तरह के कयासों का दौर शुरु हो गया है।

  • क्या इलाहाबाद बैंक का नाम भी बदला जाएगा?
  • क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट का भी नया नाम प्रयागराज हाईकोर्ट होगा?
  • और अकबर इलाहाबादी, पूर्णम इलाहाबादी और राज़ इलाहाबादी की शायरी क्या अब किसी नए नाम से जानी जाएगी?
  • क्या मोदी सरकार यह आदेश भी देगी कि इन शायरों, कवियों का तखल्लुस अब प्रयागराजी हो जाएगा?

हालांकि, बीजेपी समर्थक और भक्त इस नए नामकरण से बल्लियों उछल रहे हैं, लेकिन यूपी की बीजेपी सरकार के इस कदम से सोशल मीडिया के साथ ही देश-विदेश में एक बहस छिड़ गई है।

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इलाहाबाद का नाम बदले जाने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मर्कण्डेय काटजू ने सोशल मीडिया पर लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखी है। उन्होंने उपहासपूर्व योगी सरकार को बधाई दी है, और व्यंग्य किया है क इसके साथ ही अब कम से कम 30 शहरों के नाम बदले जाने चाहिए। उन्होंने केंद्र और यूपी सरकार से अपील की है कि मुगल दौर के इन शहरों के नाम बदलना चाहिए।

जस्टिस काटजू ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर पूछा कि, “कुछ भी हो जाए, हम सारे इलाहाबादी तो इसे इलाहाबाद ही बुलाएंगे।“ शहरों का नया नामकरण अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां भी बटोर रहा है।

ब्रिटेन के बड़े अखबार द गार्जियन ने जो खबर छापी है उसकी सुर्खी है, ‘हिंदू राष्ट्रवादी राज्य सरकार ने भारतीय शहर का मुस्लिम नाम बदला’, खबर में लिखा गया है कि मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोपी एक कट्टरपंथी राष्ट्रवादी साधू की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने एक शहर का नाम मुस्लिम से बदलकर हिंदू कर दिया है।‘

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह शहर नेहरू-गांधी वंश का पैतृक स्थान रहा है, और इस शहर ने भारत को तीन प्रधानमंत्री दिए, जिसमें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हैं।

वहीं एक और ब्रिटिश अखबार ‘इंडिपेंडेंट’ ने लिखा है कि, “वर्षों से इस शहर का नाम संस्कृत के शब्द प्रयाग रखने का दवाब था, प्रयाग का अर्थ त्याग का स्थान होता है जिसमें हिंदू मान्यता के मुताबिक सृष्टिकर्ता ने गंगा-यमुना के संगम पर अपनी पहली दिव्य दृष्ठि डाली थी।” इस खबर का शीर्षक ‘भारतीय शहर इलाहाबाद के इस्लामी नाम को हिंदू राष्ट्रवादी ने बदला’ दिया गया है। खबर में योगी आदित्यनाथ का बयान भी है जिसमें उन्होंने कहा है कि, “जिन लोगों को हमारे इतिहास और परंपराओं का ज्ञान शून्य है, सिर्फ वही इस बदलाव का विरोध कर रहे हैं।”

इसी तरह कतर स्थित अल जज़ीरा नेटवर्क ने भी इलाहाबाद का नाम बदले जाने की खबर दी है। ‘भारत की बीजेपी ने इलाहाबाद का मुस्लिम नाम बदलकर प्रयागराज रखा’ शीर्षक से प्रकाशित खबर में अल जज़ीरा ने कहा है कि, “भारत अधिकारिक तौर पर एक सेक्युलर देश है, लेकिन बीते कई वर्षों से बीजेपी हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर चुनाव लड़ती रही है। इस पार्टी के कई सदस्य पूर्व में मुस्लिम विरोधी बयान देते रहे हैं ताकि हिंदू वोटरों को ध्रुवीकरण किया जा सके।

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ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस बारे में अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। ज्यादातर ने इस बात पर विस्मय जताया है कि कैसे किसी शहर का नाम बदलने से उसका विकास हो सकता है। कुछ लोगों ने इसे असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया है। वहीं इस नामकरण पर कई सारे कार्टून भी प्रतिक्रिया के तौर पर सामने आए हैं।

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वैसे रोचक संयोग यह है कि मनमोहन देसाई की फिल्म ‘अमर,अकबर, एंथनी’ का मशहूर गाना पर्दा है पर्दा की पंक्तियां हैं....

मेरे ख्वाबों की शहज़ादी

मैं हूं अकबर इलाहाबादी

इस फिल्म का स्क्रीन प्ले जिस लेखक ने लिखा था उनका नाम है प्रयाग राज। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और ऋषि कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे।

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