पुलवामा हमले के बाद देश में कश्मीरियों के विरोध में स्वर उठ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में सेना की 111 पदों के लिए हो रही भर्ती में शामिल होने आए कश्मीरी युवाओं का जोश और जज्बा देख देखते ही बन रहा है। ये सभी अपने देश की सेवा के लिए सेना में शामिल होना चाहते हैं। इन्हीं युवाओं में शामिल बिलाल अहमद का कहना है, 'हमें यहां पर परिवार को बचाने और देश की सेवा करने का मौका मिलेगा। किसी को इससे ज्यादा चाहिए'?
Published: 19 Feb 2019, 6:13 PM IST
गौर करने वाली बात यह है कि पुलवामा हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा है और सोशल मीडिया पर हर कश्मीरी को इसके लिए दोषी ठहराया जा रहा है। कई जगह से कश्मीर के लोगों के साथ मारपीट की भी खबरें आ रही हैं। जिसको देखते हुए सीआरपीएफ को भी हेल्पलाइन नंबर शुरू करने पड़ा हैं। वहीं मेघालय के राज्यपाल तथगात रॉय ने तो कश्मीरियों के बहिष्कार तक की अपील कर डाली है।
Published: 19 Feb 2019, 6:13 PM IST
सोशल मीडिया के जरिए भी माहौल खराब किया जा रहा है। मारपीट की घटनाओं को देखते हुए कश्मीरी छात्र अपने-अपने घरों को वापस लौटने को मजबूर हुए हैं। वहीं इन घटनाओं पर कांग्रेस का कहना है कि घाटी के छात्र-छात्राओं के साथ इस तरह के व्यवहार से अलगावादी ताकतों के ‘जहरीले' मंसूबों को मदद मिलेगी। पार्टी ने यह भी कहा कि अगर कोई पुलवामा में जवानों की शहादत पर प्रश्नचिन्ह लगाने की हिमाकत करता है तो उसके खिलाफ कानून के मुताबिक कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट अंग है. न तो पाकिस्तान और न ही कोई दूसरी आतंकी ताकत इस वास्तविकता को नकार सकती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों पर अकारण हमला किया जाना निंदनीय और अस्वीकार्य है। जो लोग इन विद्यार्थियों पर हमले कर रहे हैं वो हमारे देश के नागरिकों को ही निशाना बना रहे हैं। इस तरह के कदम से अलगाववादी ताकतों के जहरीले मंसूबों को मदद मिलेगी।'
Published: 19 Feb 2019, 6:13 PM IST
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Published: 19 Feb 2019, 6:13 PM IST