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दुनिया की 5 बड़ी खबरें: अफगानिस्तान में कई मायनों में विफल रहा अमेरिका और UNSC की तालिबान से संयम बरतने की अपील

20 साल के अमेरिकी सैन्य कब्जे के बाद तालिबान बलों ने काबुल पर कब्जा कर लिया। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका किसी देश में उद्धारकर्ता के रूप में उतरा और गैर-जिम्मेदाराना रूप से चला गया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने तालिबान और अन्य विभिन्न पक्षों से संयम रखने का आह्ववान किया।

फोटो: IANS
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काबुल में हवाई अड्डे पर मची भीड़ के कारण वाणिज्यिक उड़ानें निलंबित

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काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर सभी वाणिज्यिक उड़ानें निलंबित कर दी गई हैं। अफगान मीडिया के अनुसार, बयान में जनता से हवाईअड्डे पर भीड़ नहीं लगाने का आग्रह किया गया है।

काबुल हवाईअड्डा रविवार की रात को भर गया था, जहां 2,000 से अधिक लोग देश छोड़ने के लिए वाणिज्यिक उड़ानों में सवार होने की उम्मीद कर रहे थे। इस बीच, अमेरिकी बलों द्वारा सुगम निकासी के प्रयास जारी हैं। पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को एक मध्य एशियाई देश के लिए रवाना हुए। सूत्रों ने बताया कि भीड़ बढ़ने के कारण सोमवार सुबह हवाई अड्डे पर गोलीबारी में कुछ लोग मारे गए और घायल हो गए।

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अफगानिस्तान में अमेरिका कई मायनों में विफल रहा

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20 साल के अमेरिकी सैन्य कब्जे के बाद तालिबान बलों ने काबुल पर कब्जा कर लिया। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका किसी देश में उद्धारकर्ता के रूप में उतरा और गैर-जिम्मेदाराना रूप से चला गया। ऐसा तब भी हुआ जब 1975 में गृह युद्ध से देश को तबाह करने के बाद अमेरिका ने वियतनाम छोड़ दिया, और ऐसा तब भी हुआ जब 2003 में अमेरिका ने इराक पर आक्रमण किया और इसे एक अशासकीय स्थान में बदल दिया।

खैर, अफगानिस्तान से अमेरिका की जल्दबाजी और गैर-जिम्मेदाराना वापसी यह दर्शाती है कि अमेरिका अफगानिस्तान में शुरू हुए दो दशक लंबे युद्ध को हार चुका है। यह भी स्पष्ट हो जाता है कि अफगानिस्तान में अमेरिका कई मायनों में विफल रहा है।

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चीन अफगान लोगों की इच्छाओं और विकल्पों का सम्मान करता है : चीनी विदेश मंत्रालय

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चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ छुनयिंग ने 16 अगस्त को कहा कि चीन अफगानिस्तान में स्थिति के सुचारू परिवर्तन की उम्मीद करता है, स्वतंत्र रूप से अपने भाग्य और भविष्य का निर्धारण करने के लिए अफगान लोगों के अधिकार का सम्मान करता है, और अफगानिस्तान के साथ अच्छे-पड़ोसी और मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास जारी रखने के लिए तैयार है। हुआ छुनयिंग ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है और चीन अफगान लोगों की इच्छाओं और विकल्पों का सम्मान करता है। अफगानिस्तान में युद्ध 40 से अधिक वर्षों तक चला है। युद्ध को रोकना और शांति प्राप्त करना न केवल 3 करोड़ अफगान लोगों की सर्वसम्मत आवाज है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय देशों की आम अपेक्षा भी है।

चीनी प्रवक्ता ने कहा कि चीन को उम्मीद है कि अफगान तालिबान अफगानिस्तान में विभिन्न दलों और जातीय समूहों के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्थितियों से मेल खाने वाली एक समावेशी राजनीतिक संरचना स्थापित करेगा और अफगानिस्तान में स्थायी शांति प्राप्त करने की नींव रखेगा।

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यूएन महासचिव: अफगानिस्तान के विभिन्न पक्षों से संयम रखने का आहवान

15 अगस्त को अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी अफगानिस्तान छोड़कर विदेश चले गए। उस दिन अफगान तालिबान ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि सशस्त्र बलों ने उन्हें राजधानी काबुल में प्रवेश करने की अनुमति दी। हाल में ताबिलान ने अफगान राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है।

अफगान की हालिया परिस्थिति के मद्देनजर विभिन्न पक्षों ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने तालिबान और अन्य विभिन्न पक्षों से संयम रखने का आह्ववान किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की हालिया परिस्थिति पर आपात बैठक चल रही है। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों के इस बुरे वक्त में अकेला नहीं छोड़ सकते। उन्होंने दुनिया के सभी देशों से अपिल कि की अफगानिस्तान को एक बार फिर से आतंक का घर नहीं बनने दिया जाए।

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अफगान फिल्म प्रोड्यूसर करीमी ने बचाव की अपील में कहा, तालिबान महिला अधिकारों को छीन लेगा

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प्रख्यात अफगान फिल्म प्रोड्यूसर सहरा करीमी ने एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा तेजी से कब्जा किए जाने के प्रभाव के प्रति दुनिया को जगाने का आह्वान किया गया है। वह फिल्म प्रोड्यूसर्स और सामान्य रूप से महिलाओं के लिए क्रूर उग्रवादियों के खिलाफ सुरक्षा का आह्वान कर रहीं हैं, जिन्होंने अंतिम अमेरिकी बलों की वापसी के बीच देश पर कब्जा कर लिया है।

करीमी का पत्र अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों को भेजा गया है और उनके फेसबुक अकाउंट पर विभिन्न रूपों में पोस्ट किया गया है। वैराइटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रविवार को, अफगानिस्तान पर तालिबान की पकड़ पूरी तरह से लग रही थी, क्योंकि आतंकवादियों के देश की राजधानी काबुल में घुसने की खबर थी, जिससे राष्ट्रपति को भागने पर मजबूर होना पड़ा।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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