अमेरिका और रूस के बीच तनाव अब और गहराता नजर आ रहा है। डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली अमेरिकी सरकार ने बुधवार को रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों रॉसनेफ्ट और लुकोइल पर बैन लगाने की घोषणा की है।
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अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने कहा है कि इन दोनों कंपनियों को रूस की युद्ध मशीन को वित्तपोषित करने वाली इकाइयों के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप ने बताया कि वे नियमित संवाद करते हैं, लेकिन रूस की ओर से वार्ता आगे नहीं बढ़ रही है।
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भारत इस बैन से प्रभावित हो सकता है, क्योंकि रॉसनेफ्ट और लुकोइल से भारत को तेल की आपूर्ति होती है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस साल जनवरी-जुलाई तक भारत ने रूस से प्रतिदिन करीब 1.73 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात किया है, जो इसके कुल तेल आयात का करीब एक-तिहाई हिस्सा था।
भारत ने इस आयात को अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बताया है, लेकिन अब अमेरिका-रूस तनाव और इन बैन की वजह से भारत को विकल्प तलाशने की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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ट्रंप ने कहा है कि रूस शांति को लेकर गंभीर नहीं है और अब मसय आ गया है कि सचमुच कार्रवाई हो।
यह अमेरिका का रूस के खिलाफ एक बहुत ठोस कदम माना जा रहा है, खासकर क्योंकि यह उन कंपनियों को निशाना बना रहा है जो युद्ध के लिए संसाधन जुटाती हैं।
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जानकारों का कहना है कि इस कदम का असर तभी होगा जब रूस-तेल खरीदने वाले देशों (जैसे भारत, चीन) को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया जाए।
भारत को अब यह देखना होगा कि वो अपने ऊर्जा स्रोतों को कैसे सुरक्षित बनाए रखता है, खास तौर पर अगर रूस से आयात में रुकावट आती है।
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