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'बांग्लादेश को धार्मिक कट्टरवाद की गर्त में धकेल रहे मुहम्मद यूनुस', अवामी लीग ने लगाए गंभीर आरोप

बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी का कहना है कि मंदिरों को अपवित्र किया गया है, अल्पसंख्यकों को डराया गया है, महिलाओं के अधिकारों का हनन किया गया है और धर्मनिरपेक्षता को पाठ्यपुस्तकों और संवैधानिक भाषा से मिटा दिया गया है।

File photo: IANS
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बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर इस्लामी कट्टरपंथियों के साथ सोची-समझी रणनीति के तहत गठजोड़ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यूनुस के इस तरह के कदम देश को धार्मिक कट्टरवाद की गर्त में धकेल रहे हैं।

पार्टी ने आरोप लगाया कि मुहम्मद यूनुस की सरकार में हिज्ब-उत-तहरीर जैसे प्रतिबंधित संगठन फिर से उभर आए हैं। कई दोषी ठहराए गए आतंकवादियों को रिहा किया गया है और चरमपंथी नेताओं का राजनीतिक और प्रशासनिक मुख्यधारा में स्वागत किया जा रहा है।

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बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी का कहना है कि मंदिरों को अपवित्र किया गया है, अल्पसंख्यकों को डराया गया है, महिलाओं के अधिकारों का हनन किया गया है और धर्मनिरपेक्षता को पाठ्यपुस्तकों और संवैधानिक भाषा से मिटा दिया गया है।

पार्टी का कहना है कि यह सरकार की विफलता नहीं, बल्कि कट्टरवाद को जानबूझकर सशक्त बनाने का प्रयास है।

अवामी लीग के अनुसार, यूनुस ने सत्ता पर अपनी 'कमजोर पकड़' को मजबूत करने के लिए धर्म को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।

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यूनुस की सरकार में बांग्लादेश न केवल राजनीतिक अस्थिरता, बल्कि अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है। देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान, सामाजिक ताना-बाना और भविष्य एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं का बंधक बन रहा है।

अवामी लीग ने कहा, "प्रमुख संस्थानों में चरमपंथियों को बैठाकर और जमात-ए-इस्लामी जैसे समूहों को राजनीतिक मंच पर फिर से प्रवेश की अनुमति देकर यूनुस कट्टरपंथ को मुख्यधारा में ले आए हैं। राज्य और आतंकवाद के बीच जो एक दीवार होनी चाहिए थी, उसे तोड़ दिया गया है, जिससे आम नागरिक, अल्पसंख्यक और धर्मनिरपेक्ष आवाजें पहले से कहीं ज्यादा असुरक्षित हो गई हैं।"

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पार्टी ने कहा कि यूनुस शासन में इस्लामी ताकतों के जगह बनाने से बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, बौद्ध और ईसाई, एक बार फिर डर के साए में जी रहे हैं। दशकों से ये अल्पसंख्यक समूह देश की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रहे हैं, फिर भी आज उन्हें हिंसा, धमकी और जबरन विस्थापन के नए खतरों का सामना करना पड़ रहा है।

पार्टी ने कहा, "गांव-गांव में हो रही मंदिरों में तोड़फोड़, चर्चों पर हमले और अल्पसंख्यक परिवारों के घरों में आग लगाने की खबरें सामने आई हैं। धमकियां मिलने के बाद कई लोग पैतृक जमीन छोड़कर भाग गए हैं, जबकि अन्य, राज्य उनकी रक्षा करेगा या नहीं, इस अनिश्चितता में छिपकर रह रहे हैं। लोगों का यह पलायन शांत, लेकिन विनाशकारी है।"

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अवामी लीग ने कहा कि कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर का पुनरुत्थान न तो संयोग है और न ही बांग्लादेश के परिसरों और सांस्कृतिक जीवन पर इस्लामी समूह हिफाजत-ए-इस्लाम का नया प्रभाव है।

 पार्टी ने इस बात पर जोर दिया कि इस्लामिक समूहों की मांगों के प्रति हर रियायत, चाहे वह संवैधानिक सुधारों में धर्मनिरपेक्ष आवाजों को दरकिनार करना हो, अल्पसंख्यकों पर हमलों को नजरअंदाज करना हो या कैंपस में उग्रवाद को कम करके आंकना हो, चरमपंथ को मजबूत करती है। यूनुस ने इन समूहों की विचारधारा के लिए एक बार फिर सरकारी तंत्र में घुसपैठ के रास्ते खोल दिए हैं।

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