भारत दौरे से कनाडा पहुंचे प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का खालिस्तानी समर्थक जसपाल अटवाल को लेकर दिए गए बयान के बाद एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। भारत में कनाडा उच्चायोग की ओर से आयोजित समारोह में जसपाल अटवाल को निमंत्रण देने के पीछे ट्रूडो ने भारतीय अधिकारियों का हाथ बताया है। इस मामले में अपने अधिकारियों का बचाव करते हुए ट्रूडो ने भारत पर अपनी छवि खराब करने का भी आरोप लगाया। कनाडा में इस मुद्दे पर आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में कनाडा सरकार के अधिकारी ने कहा कि भारत में कनाडा उच्चायोग की ओर से आयोजित समाहोर में अटवाल को निमंत्रण देने के पीछे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का हाथ था, जो नहीं चाहते थे कि पीएम मोदी के साथ ट्रूडो सरकार के गहरे रिश्ते दिखें।
कनाडा सरकार और पीएम जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, “हमने जसपाल अटवाल को कनाडा के प्रधानमंत्री के सम्मान में रखे गए भोज में निमंत्रण के विषय पर कनाडा की संसद में चर्चा को देखा है। हम इस बात को स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सुरक्षा एजेंसियों समेत भारत सरकार कनाडा उच्चायोग की ओर से आयोजित समारोह में जसपाल अटवाल को आमंत्रित करने को लेकर कोई लेना-देना नहीं है।” कनाडा सरकार के सभी आरोपों को रवीश कुमार ने आधारहीन बताया है।
गौरतलब है कि जस्टिन ट्रूडों के भारत दौरे के दौरान कनाडा उच्चायोग ने दिल्ली में खास रात्रिभोज का आयोजन किया था, जिसमें खालिस्तान समर्थक जसपाल अटवाल को भी निमंत्रण दिया गया था। हालांकि बाद में अटवाल के निमंत्रण को कनाडा उच्चायोग ने रद्द कर दिया था।
जसपाल अटवाल खालिस्तानी समर्थक है और वह प्रतिबंधित इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन में भी काम कर चुका है। जसपाल पर 1986 में वैंकूवर आइलैंड में भारतीय मंत्री मलकीत सिंह सिद्धू पर जानलेवा हमला करने के मामले में दोषी भी करार दिया गया था। वैंकूवर में 4 लोगों ने सिद्धू की कार पर हमला किया था और जसपाल उन 4 लोगों में शामिल था।
Published: 01 Mar 2018, 1:01 PM IST
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Published: 01 Mar 2018, 1:01 PM IST