
इंडोनेशिया के सुमात्रा के तीन प्रांतों में आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 1,000 से ज्यादा हो गई है। इसके अलावा 218 लोगों के बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है। वहीं इस भयावह आपदा में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है, जिनमें सरकारी दफ्तर, स्कूल, प्रार्थना स्थल शामिल हैं।
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसी (बीएनपीबी) ने शनिवार को बताया कि इन आपदाओं से इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा है। बीएनपीबी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, करीब 1,200 सार्वजनिक सुविधाओं के साथ-साथ 219 स्वास्थ्य सुविधाओं, 581 शैक्षणिक सुविधाओं, 434 दुआ और प्रार्थना की जगह, 290 ऑफिस बिल्डिंग और 145 पुलों को नुकसान हुआ है।
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न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बीएनपीबी के डेटा और सूचना केंद्र के प्रमुख अब्दुल मुहरी ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सब-डिस्ट्रिक्ट के स्तर पर डेटा का सत्यापन और सिविल रिकॉर्ड के साथ क्रॉस-रेफरेंसिंग का काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि पीड़ितों के नाम और पते की पुष्टि की जा रही है और कई जिलों में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया जारी है।
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इस बीच, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो ने शुक्रवार को आचे में आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार समुदाय की अलग-अलग बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए काम कर रही है। प्रबोवो ने कहा, "हम सब मिलकर इस स्थिति को सुधारेंगे। सरकार आगे आएगी और हर चीज में मदद करेगी।" इसके साथ ही उन्होंने सभी नागरिकों से रिकवरी प्रोसेस के दौरान डटे रहने और अपना हौसला बनाए रखने की अपील की।
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इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई है कि बच्चों को पढ़ाने और सीखने जैसी सामुदायिक गतिविधियां जल्द ही सामान्य हो जाएंगी। इस हफ्ते की शुरुआत में, सुबियांटो ने आचे में कई प्रभावित जगहों का दौरा करने के बाद डिजास्टर रिस्पॉन्स और रिकवरी की कोशिशों पर एक मीटिंग की अध्यक्षता की। उन्होंने सेना, पुलिस, नेशनल सर्च एंड रेस्क्यू एजेंसी, बीएनपीबी और स्थानीय सरकारों को शामिल करते हुए मजबूत संयुक्त ऑपरेशन करने के निर्देश दिए।
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इंडोनेशिया की एयरलांगा यूनिवर्सिटी में डिजास्टर मैनेजमेंट के लेक्चरर हिजरा सपुत्रा ने बताया कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां अब भी दूर-दराज के गांवों तक नहीं पहुंची हैं, क्षेत्रीय योजना में अनुशासन का अभाव है, और पर्यावरणीय पुनर्वास की प्रक्रिया भी केवल कभी-कभार ही की जाती है। उन्होंने कहा, "अगर हम भविष्य में जनहानि कम करना चाहते हैं, तो सुनियोजित क्षेत्रीय योजना, जलग्रहण क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर आधारित दृष्टिकोण और क्षेत्रीय स्तर पर एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के माध्यम से आपदा-रोधी क्षमता को सुदृढ़ करना अनिवार्य होगा।"
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