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इथोपिया के पीएम अबी अहमद को शांति का नोबेल, लंबे समय से जारी सीमा विवाद सुलझाने को लेकर आए थे चर्चा में

अबी अहमद अली को शांति की कोशिशों, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हासिल करने के प्रयासों और खासतौर से पड़ोसी देश इरिट्रिया के साथ लंबे समय से जारी सीमा विवाद को संवेदनशीलता से सुलझाने की कामयाब कोशिशों के लिए शांति के नोबेल से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषण कर दी गई है। इस बार ये प्रतिष्ठित पुरस्कार इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को दिया गया है। खास बात ये है कि इथोपिया के चौथे प्रधानमंत्री अबी अहमद अली की उम्र वर्तमान में महज 43 साल है। उनका जन्म 15 अगस्त 1976 में हुआ था।

नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में शुक्रवार को शांति पुरस्कार का ऐलान किया गया। सबसे खास बात ये है कि अबी अहमद अली नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले 100वें शख्स या संस्था हैं। बताते चलें कि इस बार इस पुरस्कार के लिए 16 साल की पर्यावरण आंदोलनकर्ता ग्रेटा थन्बर्ग का नाम भी अंतिम सूची में रखा गया था।

अबी अहमद अली को शांति स्थापना की कोशिशों, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हासिल करने के प्रयासों और खासतौर से अपने पड़ोसी देश इरिट्रिया के साथ लंबे समय से जारी सीमा विवाद को शांतिपूर्वक तरीके से सुलझाने की कामयाब कोशिशों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

अबी अहमद अली ने 2 अप्रैल 2018 को इथोपिया के चौथे प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार ग्रहण किया था। देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले उन्होंने राजनीति में महिलाओं को लाने की एक बड़ी पहल करते हुए अपनी सरकार के 20 मंत्री पदों में से आधे पर महिलाओं को नियुक्त किया था। उनकी सरकार में महिलाओं की बड़ी संख्या है।

इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के फौरन बाद पड़ोसी देश इरिट्रिया के साथ फिर से शांति वार्ता शुरू करने का ऐलान किया था। और उन्होंने अपने ऐलान को सच साबित करते हुए शांति समझौते के सिद्धांतों पर अमल किया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद खत्म हो गया। पिछले साल ही इथोपिया और इरिट्रिया ने अपने सीमा विवाद को हल करने के लिए शांति समझौता किया है।

गौरतलब है कि पिछले साल शांति का नोबेल पुरस्कार निस मुकवेगे और नादिया मुराद को दिया गया था। यौन हिंसा को युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल करने के खिलाफ दोनों के प्रयासों के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया था। उससे पहले साल 2017 में इंटरनेशल कैंपेन टू एबोलिश न्‍यूक्लियर वीपन्‍स (आईसीएएन) को शांति नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो कि एक संस्था है और परमाणु हथियारों के खिलाफ अभियान चलाती है।

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