दुनिया

बांग्लादेश दुर्गा पूजा हमला: ISI ने लोगों के दिमाग में भरा जहर, UN से लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल तक सभी हैरान

बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील छवि वाली प्रधानमंत्री शेख हसीना गंभीर अंतर्राष्ट्रीय दबाव में हैं। दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ उन्मादी हमलों से संयुक्त राष्ट्र से लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल तक सभी स्तब्ध हैं।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील छवि वाली प्रधानमंत्री शेख हसीना गंभीर अंतर्राष्ट्रीय दबाव में हैं। दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ उन्मादी हमलों से संयुक्त राष्ट्र से लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल तक सभी स्तब्ध हैं।

बांग्लादेश में हाल ही में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदुओं की आस्था पर हमला होने से भारत में भी लोगों की भावनाएं काफी आहत हुई हैं और दोनों पड़ोसी देशों के लोगों के बीच सदियों से चले आ रहे सामाजिक और सांस्कृतिक के साथ ही आपसी संबंधों को भी ठेस पहुंची है।

अगर बांग्लादेशी प्रधानमंत्री दोषियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करते हुए नहीं देखी जाती हैं, जिन्होंने एक गहरी साजिश को जन्म दिया है, तो यह संभव है कि सदियों से लोगों के बीच व्याप्त शक्तिशाली भावनात्मक जुड़ाव पर गंभीर रूप से नकारात्मक असर पड़ सकता है।

Published: 21 Oct 2021, 3:59 PM IST

भयानक हमलों के पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीयकरण के साथ और पहले से ही वैश्विक मानवाधिकार मानचित्र पर एक धब्बा पड़ने के साथ, हसीना प्रशासन को न केवल व्यापक रक्तपात के मुख्य दोषियों को जल्दी से पकड़ना चाहिए, बल्कि शहर में फैली हिंसा के मूल कारणों को भी खत्म करना चाहिए। खासतौर पर कमिला में जो हुआ, उसके दोषियों को सजा मिलनी जरूरी है, जो कि हाल के दिनों में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केंद्र रहा है।

दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू विरोधी नरसंहार की भयावहता ने संयुक्त राष्ट्र को इस त्रासदी पर गंभीरता से ध्यान देने के लिए प्रेरित किया है। बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर मिया सेप्पो ने सोमवार को सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ बढ़ते शोर-शराबे में शामिल होकर सरकार से देश के अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आहवान किया।

उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, "हाल ही में सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान के कारण बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं और इसे रोकने की जरूरत है। हम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आहवान करते हैं। हम सभी से समावेशी सहिष्णु बांग्लादेश को मजबूत करने के लिए हाथ मिलाने का आहवान करते हैं।"

Published: 21 Oct 2021, 3:59 PM IST

वैश्विक मानवाधिकार प्रहरी एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी बांग्लादेशी सरकार को सांप्रदायिक तनाव को तत्काल समाप्त करने के लिए कहा है। इसने चेतावनी दी कि देश में अल्पसंख्यक विरोधी भावना बढ़ रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया प्रचारक साद हम्मादी ने हिंदू समुदाय के खिलाफ लक्षित हमलों को लेकर बांग्लादेश को चेताया है।

उन्होंने कहा, "देश के सबसे बड़े हिंदू त्योहार के दौरान हिंदू समुदाय के सदस्यों, उनके घरों, मंदिरों और पूजा पंडालों के खिलाफ गुस्साई भीड़ द्वारा हमलों की रिपोर्ट देश में बढ़ती अल्पसंख्यक विरोधी भावना को दर्शाती है। बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों में व्यक्तियों के खिलाफ इस तरह के बार-बार हमले, सांप्रदायिक हिंसा और अल्पसंख्यकों के घरों तथा पूजा स्थलों को नष्ट करने से पता चलता है कि राष्ट्र अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रहा है।"

हम्मादी ने जोर देकर कहा कि सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के लिए धार्मिक संवेदनाओं को निशाना बनाना "गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन है और देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को दूर करने के लिए सरकार की ओर से तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।"

Published: 21 Oct 2021, 3:59 PM IST

हिंदू-विरोधी हिंसा के नतीजों ने हसीना की धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील छवि पर भी काफी गहरा असर डाला है। अब बांग्लादेश में भी पाकिस्तान की तरह ही हिंदुओं और उनकी आस्था पर सीधे हमले तेज होते दिख रहे हैं। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा गढ़ी गई कट्टरपंथी सोच ने पहले से ही उनके देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लोगों के दिमाग में काफी जहर भरा है।

एक दुष्ट खुफिया एजेंसी के तौर पर विख्यात आईएसआई अफगानिस्तान, दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में विस्तारित आतंकवादी सांठगांठ की एक प्रमुख चालक है। तुर्की के साथ अब पाकिस्तान के पक्के सहयोगी के रूप में, आतंकवादियों की पहुंच अब बहुत दूर तक फैल चुकी है और अब वास्तव में पश्चिम एशिया, अफ्रीका और काकेशिया के केंद्र में भी इसका असर देखने को मिला है।

Published: 21 Oct 2021, 3:59 PM IST

बांग्लादेशी प्रधानमंत्री की लड़ाई इसलिए असाधारण रूप से कठिन है, क्योंकि जिन ताकतों ने देश को सांप्रदायिक भट्टी में बदल दिया है, उनकी जड़ें न केवल स्थानीय हैं, बल्कि क्षेत्रीय भी हैं। अगर इनकी जड़ें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं भी हैं, तो इसने क्षेत्र में अपना प्रभाव जरूर डाला है। इसलिए शेख हसीना की प्रतिक्रिया बहुस्तरीय होनी चाहिए, जहां स्थानीय प्रशासनिक कार्रवाई को मित्र देशों, विशेष रूप से भारत के साथ-साथ वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने में लगे संयुक्त राष्ट्र के अंगों के सक्रिय सहयोग से आगे बढ़ाया जा सकता है।

(यह आलेख इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)

Published: 21 Oct 2021, 3:59 PM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 21 Oct 2021, 3:59 PM IST