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अफगानिस्तान में भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमला करा सकता है ISI, लश्कर-ए-तैयबा के चार आत्मघाती हमलावरों को भेजा गया

भारत अपनी एक सीमा पर जब चीन से उलझा हुआ है, उस दौरान पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस एजेंसी यानी आईएसआई अफगानिस्तान में भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमले की योजना बना सकती है। भारत की खुफिया एजेंसियों ने ये आशंका जताई है।

फोटो : IANS
फोटो : IANS 

भारत अपनी एक सीमा पर जब चीन से उलझा हुआ है, उस दौरान पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस एजेंसी यानी आईएसआई अफगानिस्तान में भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमले की योजना बना सकती है। भारत की खुफिया एजेंसियों ने ये आशंका जताई है।

अफगानिस्तान और भारत के सुरक्षा एजेंसियों को इस बारे में सतर्क कर दिया गया है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर वाहन-जनित हमले कर सकता है और इसके लिए वह आईईडी का इस्तेमाल कर सकता है।

भारतीय खुफिया एजेंसी ने कहा, "लश्कर-ए-तैयबा के चार आत्मघाती हमलावरों को कुनार प्रांत में भेजा गया है। वे जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर एक वाहन-जनित इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस हमले की योजना बना रहे हैं।"

Published: 02 Sep 2020, 3:44 PM IST

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में भारतीय प्रतिष्ठानों को कई खतरे हैं। इसके प्रमुख कारणों में से एक अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव से पाकिस्तान के अंदर बढ़ रही असुरक्षा भी शामिल है। अधिकारी ने कहा, "ऐसे में वे भारतीय कर्मियों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के लिए प्रॉक्सी / प्रायोजक आतंकवादी समूहों का इस्तेमाल कर सकते हैं।"

पाकिस्तान ने काबुल में जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले हाई विजिबिलिटी और अधिक प्रभाव वाले हमलों को अंजाम देने के लिए इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) को भी शामिल किया है। उन्होंने अफगानिस्तान में हिंदू और सिख समुदायों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। कभी ऐसा भी वक्त था, जब इन समुदायों की ताकत सरकार में, अच्छी तरह से स्थापित व्यवसायों और उच्च रैंकिंग पदों के साथ हजारों में थी। लेकिन अब उनमें से अधिकांश युद्ध और उत्पीड़न के बाद भारत, यूरोप या उत्तरी अमेरिका का रूख कर चुके हैं।

Published: 02 Sep 2020, 3:44 PM IST

इसके अलावा पाकिस्तान भारतीय मुसलमानों को जिहाद अपनाने के लिए मजबूर कर रहा है। उसने अफगानिस्तान में भी भारतीयों के साथ ऐसा करना शुरू कर दिया है।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कहा था कि भारतीय आईएसआईएस सहयोगी - हिंद विलय, जिसकी 10 मई, 2019 को घोषणा की गई थी, उसके केरल और कर्नाटक में पहले से ही करीब 180 से 200 सदस्य हैं।

अफगानिस्तान में वर्तमान सुरक्षा स्थिति तालिबान और आईएसकेपी, दोनों के हमलों के चलते अस्थिर बनी हुई है।

Published: 02 Sep 2020, 3:44 PM IST

अपनी क्षेत्रीय शक्ति को बढ़ाने के लिए तालिबान ने 28 और 29 मार्च को उत्तरपूर्वी प्रांत बदख्शन में युमगन जिले को अपने कब्जे में ले लिया था, साथ ही अफगान सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हुए अपने हमलों को जारी रखा।

तालिबानियों ने तब तक बदख्शन प्रांत के युमगन और जुर्म जिलों को नियंत्रित किया, जब तक 2019 के अंत में सरकारी बलों ने उन्हें वापस नहीं पा लिया।

इस साल अफगान सुरक्षा बलों ने 18 अप्रैल को जौजान प्रांत के खामब जिले में आतंकवादी समूह पर भारी हमला कर क्षेत्र का नियंत्रण वापस पा लिया था।

Published: 02 Sep 2020, 3:44 PM IST

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Published: 02 Sep 2020, 3:44 PM IST