दुनिया

कमला हैरिस ने बढ़ाई डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें, इतिहास रचने की राह पर अमेरिका

कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर डेमोक्रैटिक पार्टी ने आग का खेल शुरू कर दिया है। अब अमेरिकी वोटर या तो इतिहास रचेंगे या फिर कमला हैरिस और जो बाइडेन का राजनीतिक करियर भस्म होगा।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर अमेरिका की डेमोक्रैटिक पार्टी ने एक ऐतिहासिक मास्टर स्ट्रोक लगा दिया है। बुधवार को डेमोक्रैटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने अपनी उपराष्ट्रपति उम्मीदवार कमला हैरिस को आधिकारिक रूप से मंच पर आमंत्रित किया। साल भर पहले तक राष्ट्रपति पद की दावेदारी पाने के लिए आपस में तीखे ढंग से उलझने वाले बाइडेन और हैरिस इस बार मुस्कुराते हुए एक टीम की तरह सामने आए।

विलमिंग्टन में लोगों को संबोधित करते हुए बाइडेन ने कहा, "पूरे अमेरिका को इस सवाल का जवाब देना है कि एक राष्ट्र के तौर पर हम क्या हैं? हम किन मूल्यों के लिए खड़े रहते हैं? और सबसे अहम ये है कि हम क्या बनना चाहते हैं? कमला को चुनने का एक अहम कारण मेरे लिए यह भी है कि हम दोनों एक आम शब्द के जरिए अमेरिका की व्याखा कर सकते हैं- संभावनाएं।”

Published: 14 Aug 2020, 12:02 AM IST

बाइडेन के परिचय कराने वाले संबोधन के बाद कमला हैरिस पहली बार सार्वजनिक रूप से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर लोगों से मुखातिब हुईं। बाइडेन का संदेश जहां अमेरिकी मूल्यों पर था, वहीं हैरिस ने नस्लीय तनाव से बंटते देश को अपने माता-पिता का अमेरिकन ड्रीम बताया, "मेरे माता-पिता दुनिया के दो अलग-अलग कोनों से अमेरिका आए। एक भारत से और एक जमैका से। एक विश्वस्तरीय शिक्षा की तलाश में। लेकिन 1960 के दशक के नागरिक अधिकार आंदोलनों ने उन्हें एक साथ मिलाया। इसी दौरान छात्र के तौर पर वे एक दूसरे मिले, ऑकलैंड की सड़कों पर। वो भी मार्च करते हुए, जिसका नारा था, न्याय। एक ऐसा संघर्ष जो आज भी जारी है।”

अमेरिका की राजनीतिक कुंडली में यह पहला मौका है जब किसी अश्वेत मूल की महिला को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। 55 साल की कमला हैरिस के पिता जमैका के थे और मां भारतीय मूल की। पारिवारिक पृष्ठभूमि के अलावा कमला हैरिस एक टफ अटॉर्नी मानी जाती हैं। उनके सीधे और तीखे सवाल अमेरिका में कई अधिकारियों के करियर पर भारी पड़ चुके हैं।

Published: 14 Aug 2020, 12:02 AM IST

हैरिसे के कंधे बड़ी जिम्मेदारी

कानून के गलियारों से राजनीति के शीर्ष तक सफर तय करने वाली हैरिस अब जो बाइडेन के साथ तीन नवंबर को डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति कार्यालय बाहर निकालने की कोशिश करेंगी। अमेरिका के राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक चुनावों के दौरान राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जहां अर्थव्यवस्था, अंतराष्ट्रीय राजनीति और भविष्य की बात करते हैं, वहीं घरेलू मसलों पर मौजूदा राष्ट्रपति को घेरने और तीखे आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करने की जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की होती है। हैरिस इसी भूमिका में नजर आएंगी।

इसकी बानगी हैरिस के पहले ही संबोधन में दिखाई दी। उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में ट्रंप पर निशाना साधा। हैरिस ने कहा, देखिए डोनाल्ड ट्रंप और माइक पेंस ने "हमें कहां खड़ा कर दिया है, 1.6 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हैं। करोड़ों बच्चे जो वापस स्कूल नहीं जा सकते। एक संकट, जिसमें गरीबी है, बेघर लोग हैं, ब्लैक, ब्राउन और मूल निवासियों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। एक भूख का संकट है जो हर पांच में से एक मां को सता रहा है। उसके बच्चे भूखे हैं. और बड़े दुख की बात तो ये है कि 1.65 लाख से ज्यादा जिदगियां खत्म हो गई, उनमें से कई तो अपने प्रियजनों को गुडबॉय तक नहीं कह सके। इसे टाला जा सकता था। छह साल पहले हमारे सामने इबोला महामारी थी और आप जानते हैं उस वक्त बराक ओबामा और जो बाइडेन ने अपनी जिम्मेदारी निभाई।”

Published: 14 Aug 2020, 12:02 AM IST

हैरिस को क्यों चुना?

कोरोना महामारी के साथ ही नस्लभेदी तनाव से गुजर रहे अमेरिका में तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है। रिपब्लिकन पार्टी के नेता और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने डेमोक्रैट उम्मीदवार जो बाइडेन हैं। चुनावी मैदान में कमला हैरिस को उतारकर डेमोक्रैट्स ने समीकरण बदल दिए हैं। अमेरिका में बड़ी संख्या में अफ्रो अमेरिका, इंडियन अमेरिकन, हिस्पैनिक मूल के वोटर हैं। मई में पुलिस कार्रवाई में काले अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद नस्लीय भेदभाव बड़ा मुद्दा बन चुका है।

कभी टफ कॉप के नाम से बदनाम कमला हैरिस ने फ्लॉयड की मौत के बाद शुरू हुए अभियान ब्लैक लाइव्स मैटर में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ ही हाल के जनांदोलनों में हैरिस की हिस्सेदारी ने डेमोक्रैटिक पार्टी में उनका दावा मजबूत किया। पार्टी नहीं चाहती थी कि ऐसे समय में उसके दोनों उम्मीदवार गोरे हों। कोरोना वायरस ने भी हैरिस की मदद की। वह किसी ऐसे राजनीतिक पद पर नहीं थीं, जहां वे सीधे तौर पर महामारी के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हों। महामारी के दौर में वह एक आउटसाइडर रहीं। इस लिहाज से सरकार को इस संकट के लिए वह ज्यादा आसानी से निशाने पर ले सकती हैं।

Published: 14 Aug 2020, 12:02 AM IST

हैरिस की चुनौतियां

जो बाइडेन के सामने ट्रंप अब तक निश्चिंत नजर आ रहे थे। लेकिन कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित करने के बाद ट्रंप ने कहा, "उन्होंने बाइडेन के बारे में बहुत बुरी बातें कहीं। खुलेआम उनका मजाक उड़ाया। मुझे लगता है कि उनकी दावेदारी बहुत ही जोखिम भरा फैसला है। मुझे पूरा भरोसा है कि इन बातों को दूसरे जरूर उछालेंगे।”

ट्रंप यह साबित करने की पूरी कोशिश करेंगे कि हैरिस एक "गुस्सैल और सिरफिरी किस्म” की महिला हैं। दो बार कैलिफोर्निया प्रांत की अटॉर्नी जनरल रहते हुए हैरिस पर पुलिस को ज्यादा छूट देने के आरोप भी लगते हैं। आलोचक कहते हैं कि उन्होंने अपने प्रांत में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को सुधारने के लिए बहुत कम काम किया। ट्रंप संकेत दे चुके हैं कि वह हैरिस के अतीत और वर्तमान की तुलना करेंगे। ट्रंप अपने जलील करने वाले अंदाज में हैरिस को कथनी और करनी में अंतर के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे।

Published: 14 Aug 2020, 12:02 AM IST

ऐतिहासिक मौका, पर दांव बड़ा महंगा

राजनीतिक विश्लेषकों और अमेरिका के नेताओं में इस बात को लेकर कोई शक नहीं है कि पहली बार उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुनीं गई हैरिस अगर तीन नवंबर को जो बाइडेन के साथ मिलकर ट्रंप पर भारी पड़ीं तो वे अमेरिका की पहली अश्वेत और महिला उपराष्ट्रपति होंगी। इसके बाद उनके सामने अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का ख्वाब होगा। लेकिन अगर टीम बाइडेन बुरी तरह चुनाव हारीं तो दोनों का राजनीतिक करियर का अंत होगा।

Published: 14 Aug 2020, 12:02 AM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 14 Aug 2020, 12:02 AM IST