अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि इजरायल और हमास के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से शांति योजना के पहले चरण पर सहमति बन गई है। इस समझौते के तहत गाजा पट्टी में महीनों से जारी युद्ध को रोका जाएगा, और बंधकों की रिहाई भी सुनिश्चित की जाएगी।
बताया जा रहा है कि इस समझौते पर आधिकारिक रूप से गुरुवार (9 अक्तूबर) को मिस्र की राजधानी काहिरा में दस्तखत किए गए। इससे इस लंबे संघर्ष के स्थायी समाधान की एक नई उम्मीद जगी है।
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पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रूथ सोशल पर इस शांति समझौते की जानकारी साझा करते हुए लिखा:
“मुझे यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि इजरायल और हमास दोनों ने अमेरिका की शांति योजना के पहले चरण पर सहमति जताई है। इसका मतलब है कि सभी बंधकों को बहुत जल्द रिहा कर दिया जाएगा और इजरायली सेना एक तय सीमा तक पीछे हटेगी। यह स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम है।”
ट्रंप ने कतर, मिस्र और तुर्किए का खासतौर पर धन्यवाद किया और कहा कि इन देशों के मध्यस्थों की भूमिका के बिना यह ऐतिहासिक पहल संभव नहीं हो पाती। उन्होंने इसे अरब और मुस्लिम वर्ल्ड, इजरायल, अमेरिका और क्षेत्र के सभी देशों के लिए "एक बड़ा दिन" बताया।
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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इस शांति समझौते पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा:
“शांति समझौते के पहले चरण की योजना पर सहमति के बाद अब सभी बंधकों की घर वापसी होगी। यह एक कूटनीतिक सफलता है और इजरायल के लिए नैतिक जीत का दिन है। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक हमारे सभी बंधक सुरक्षित वापस नहीं लौट आते।”
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रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस समझौते को सफल बनाने में कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी, मिस्र और तुर्किए ने मुख्य भूमिका निभाई। इन देशों ने दोनों पक्षों के बीच संवाद और समझौते को संभव बनाने के लिए सक्रिय मध्यस्थता की।
गौरतलब है कि इजरायल और हमास के बीच कई महीनों से हिंसक संघर्ष जारी था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई और गाजा में भारी तबाही हुई। लेकिन अब इस नए समझौते के साथ स्थायी शांति की दिशा में एक ठोस पहल की गई है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस समझौते को आगे किस तरह लागू किया जाता है, और क्या यह वाकई स्थायी संघर्षविराम में तब्दील हो पाएगा। अगर ऐसा हुआ तो यह न केवल इजरायल और फिलिस्तीन के लिए बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है
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