पेगसास मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। इस मुद्दे पर एक बार फिर भारत में बहस छिड़ गई है। अमेरिकी अदालत ने एनएसओ ग्रुप को पेगासस के लिए जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने कहा है कि एनएसओ ग्रुप पूरे विवाद के लिए जवाबदेह है। अमेरिकी अदालत का यह फैसला WhatsApp द्वारा NSO ग्रुप के खिलाफ दायर एक मामले में आया है।
इस केस की सुनवाई करने वाले जज फिलिस हैमिल्टन ने कहा है कि इजरायली स्पाईवेयर निर्माता 1400 वॉट्सऐप यूजर्स को टारगेट करने के लिए आरोपी है। जज ने यह भी कहा कि अमेरिकी कानून का उल्लंघन करने के लिए NSO ग्रुप भी जिम्मेदार है।
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पेगासस के इस्तेमाल के शिकार लोगों में राजनीतिक असंतुष्ट और राजनयिक, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं। भारत में पेगासस कथित तौर पर पत्रकारों, राजनेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और कुछ सामाजिक सदस्यों के डिजिटल गैजेट्स में लगाया गया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने साल 2021 में NSO ग्रुप को ब्लैक लिस्ट कर दिया था। अमेरिकी सरकारी एजेंसियों को इसके प्रोडक्ट्स खरीदने पर रोक लगा दी थी। आरोप है कि पेगासस को इस्तेमाल दुनियाभर के देशों में सत्ताधारी सरकारों की पार्टियों ने हैकिंग और जासूसी के लिए किया है।
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तीन साल पहले में पेगसास पर राजनीति गरमा गई थी। पेगसास के जरिए विपक्षी नेताओं समेत कई अहम लोगों की सत्ता पक्ष पर जासूसी के आरोप लगे थे। साल 2021 में एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया था कि पेगासस का इस्तेमला 300 से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबरों पर भी किया गया था। इनमें नरेंद्र मोदी सरकार के दो मंत्री, तीन विपक्षी नेता, एक संवैधानिक प्राधिकरण, कई पत्रकार और व्यवसायी शामिल थे। खुलासे के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकारों पर सवाल खड़े हो गए थे।
खुलसे के बाद केंद्र की मोदी सरकार घिर गई थी। एनएसओ ग्रुप ने स्पष्ट तौर पर यह कहा था कि वह सिर्फ सरकारों और सरकारी एजेंसियों से ही डील करता है। पेगसास पर साल 2021 की मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सलों में घिरी भारत सरकार ने पेगासस के उपयोग के दावों का खंडन किया था। सरकार ने कहा थआ कि वह किसी भी तरह की जासूसी में शामिल नहीं है।
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