अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को विस्तारित कोष सुविधा कार्यक्रम के तहत 1.02 अरब अमेरिकी डॉलर की दूसरी किस्त वितरित कर दी है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पाकिस्तान को इस सहायता कार्यक्रम की दूसरी किस्त ऐसे समय पर दी गई है जब आईएमएफ पाकिस्तान के आगामी बजट पर ऑनलाइन माध्यम से चर्चा कर रहा है। हाल ही में भारत के साथ तनाव पैदा होने से आईएमएफ के मिशन प्रमुख की इस्लामाबाद यात्रा कुछ दिन के लिए टल गई।
पाकिस्तान सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए दो जून को बजट पेश करने की योजना बना रही है।
आईएमएफ के प्रतिनिधि आगामी बजट के प्रावधानों पर पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ 16 मई तक बातचीत करेंगे।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने कहा कि आईएमएफ से मिली दूसरी किस्त की राशि 16 मई को समाप्त होने वाले सप्ताह के लिए उसके विदेशी मुद्रा भंडार में दिखाई देगी।
विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) कार्यक्रम के तहत 1.02 अरब डॉलर की राशि को पिछले सप्ताह आईएमएफ के निदेशक मंडल ने मंजूरी दी थी। इसके अलावा आईएमएफ ने 1.4 अरब डॉलर की अतिरिक्त व्यवस्था भी जुझारूपन एवं टिकाऊ सुविधा (आरएसएफ) के रूप में की है।
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक एसबीपी ने कहा कि राशि जारी करने का फैसला ईएफएफ व्यवस्था द्वारा समर्थित पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम की पहली समीक्षा पर संतोष जताने के बाद आया है।
आईएमएफ के मुताबिक, ईएफएफ के तहत पाकिस्तान के नीतिगत प्रयासों ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और विश्वास के पुनर्निर्माण में पहले ही महत्वपूर्ण प्रगति की है।
अप्रैल के अंत में पाकिस्तान का सकल विदेशी मुद्रा भंडार 10.3 अरब डॉलर था, और इसके जून अंत तक 13.9 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है।
इस बीच, बुधवार को बजट पर मुद्राकोष की ऑनलाइन माध्यम से शुरू हुई बातचीत 16 मई तक जारी रहेगी।
सरकारी सूत्रों ने ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ को बताया कि आईएमएफ ने पाकिस्तान में एक नया मिशन प्रमुख नियुक्त किया है जिसके सप्ताहांत में इस्लामाबाद की यात्रा करने की उम्मीद है।
सूत्र ने कहा, ‘‘बातचीत के दूसरे और अंतिम चरण के लिए आईएमएफ टीम के शनिवार को इस्लामाबाद पहुंचने और 23 मई तक वहां रहने की उम्मीद है।’’
आईएमएफ ने बुल्गारियाई मूल की इवा पेट्रोवा को पाकिस्तान में नया मिशन प्रमुख नियुक्त किया है। वह निवर्तमान मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर के साथ बजट पर चर्चा में शामिल होंगी।
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खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी के साथ स्थानीय शेयर बाजार में बुधवार को तेजी रही और उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 182 अंक के लाभ में रहा जबकि एनएसई निफ्टी 88 अंक से अधिक मजबूत हुआ।
मंलगवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर अप्रैल में करीब छह साल के निचले स्तर 3.16 पर आ गयी है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और कटौती की गुंजाइश बढ़ी है।
कारोबारियों के अनुसार, इसके अलावा अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़े में नरमी और वैश्विक व्यापार तनाव कम होने से शेयर बाजार में सकारात्मक रुख रहा।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 182.34 अंक यानी 0.22 प्रतिशत की बढ़त के साथ 81,330.56 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान ऊंचे में यह 81,691.87 अंक तक गया और नीचे में 80,910.03 अंक तक आया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 88.55 अंक यानी 0.36 प्रतिशत की तेजी के साथ 24,666.90 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में टाटा मोटर्स, इटर्नल, टेक महिंद्रा, मारुति, महिंद्रा एंड महिंद्रा, इन्फोसिस, इंडसइंड बैंक, एचसीएल टेक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और भारती एयरटेल प्रमुख रूप से लाभ में रहीं।
दूरसंचार कंपनी एयरटेल का शेयर एक प्रतिशत चढ़ा। कंपनी का एकीकृत शुद्ध लाभ मार्च, 2025 को समाप्त तिमाही में पांच गुना होकर 11,022 करोड़ रुपये होने से उसके शेयर में तेजी आई।
दूसरी तरफ नुकसान में रहने वाले शेयरों में एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, कोटक महिंद्रा बैंक, एनटीपीसी और पावरग्रिड शामिल हैं।
सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर लगभग छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है।
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में कमी आने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 13 महीने के निचले स्तर 0.85 प्रतिशत पर आ गई।
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट सूचकांक और हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में रहे, जबकि जापान के निक्की में नुकसान रहा।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में ज्यादातर में दोपहर कारोबार में गिरावट का रुख रहा। अमेरिकी बाजार मंगलवार को बढ़त में रहे थे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.13 प्रतिशत की गिरावट के साथ 65.88 डॉलर प्रति बैरल रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 476.86 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
सेंसेक्स मंगलवार को 1,281.68 अंक टूटा था जबकि निफ्टी में 346.35 अंक की गिरावट आई थी।
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घरेलू शेयर बाजारों में तेजी और सकारात्मक वृहद आर्थिक आंकड़ों के समर्थन से बुधवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 10 पैसे की बढ़त के साथ 85.26 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि विदेशी बाजार में अमेरिकी मुद्रा के कमजोर रुख तथा व्यापार शुल्क तनाव कम होने से जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों के प्रति बढ़ती रुचि ने निवेशकों की धारणा को मजबूत किया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया सकारात्मक रुख के साथ खुला। दिन में कारोबार के दौरान यह डॉलर के मुकाबले 85.05 के उच्च एवं 85.52 के निचले स्तर के बीच घूमता रहा। सत्र के अंत में रुपया 85.26 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 10 पैसे की बढ़त है।
रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.36 पर स्थिर रहा था।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘ अमेरिकी डॉलर सूचकांक के कमजोर होने, सस्ती आयातित वस्तुओं तथा बाजारों में मौजूदा जोखिम-संबंधी रुख से बुधवार को भारतीय रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बढ़त देखी गई।’’
परमार ने कहा कि निकट भविष्य में अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपये की जोड़ी के 84.90 से 85.70 के बीच रहने के आसार है।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.64 प्रतिशत की गिरावट के साथ 100.35 पर रहा।
घरेलू शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 182.34 अंक की बढ़त के साथ 81,330.56 अंक पर जबकि निफ्टी 88.55 अंक चढ़कर 24,666.90 अंक पर बंद हुआ।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 1.10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 65.90 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मंगलवार को शुद्ध बिकवाल रहे थे और उन्होंने 476.86 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
गौरतलब है कि सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर करीब छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है।
वहीं खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में कमी आने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 13 महीने के निचले स्तर 0.85 प्रतिशत पर आ गई।
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खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में कमी आने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 0.85 प्रतिशत रह गई। बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। यह इसका 13 माह का निचला स्तर है।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 2.05 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 1.19 प्रतिशत रही थी।
अप्रैल में दर्ज 0.85 प्रतिशत थोक मूल्य सूचकांक की दर मार्च, 2024 के बाद से सबसे कम है। उस समय यह 0.26 प्रतिशत के स्तर पर थी।
उद्योग मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘ ...मुख्य तौर पर खाद्य उत्पादों, विनिर्माण, रसायनों व रासायनिक उत्पादों, अन्य परिवहन उपकरणों के विनिर्माण व मशीनरी तथा उपकरणों के विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही।’’
थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य, ईंधन तथा बिजली के साथ-साथ विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में कमी से इसमें नरमी आई।
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में अप्रैल में 0.86 प्रतिशत की गिरावट आई। मार्च में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत थी। अप्रैल में सब्जियों की मुद्रास्फीति दर 18.26 प्रतिशत रही जबकि मार्च में यह 15.88 प्रतिशत रही थी। प्याज की मुद्रास्फीति घटकर 0.20 प्रतिशत हो गई जो मार्च में 26.65 प्रतिशत थी।
फलों की मुद्रास्फीति घटकर 8.38 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले महीने 20.78 प्रतिशत पर थी। आलू और दालों कीमतों में भी क्रमशः 24.30 प्रतिशत और 5.57 प्रतिशत की कमी आई।
बार्कलेज ने एक शोध पत्र में कहा, ‘‘ अनुकूल आधार प्रभाव आने वाले महीनों में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति को कम रखेगा।’’
ईंधन व बिजली की महंगाई दर में अप्रैल में 2.18 प्रतिशत की कमी आई। जबकि मार्च में इन उत्पादों की मुद्रास्फीति 0.20 प्रतिशत थी।
अप्रैल में विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर 2.62 रही, जबकि मार्च में यह 3.07 प्रतिशत थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि केरल में समय से पहले मानसून आने और देश में सामान्य से अधिक मानसून रहने के अनुमान फसल उत्पादन के लिए सकारात्मक है। इसके परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान भी सकारात्मक है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर करीब छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है।
मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति 3.16 प्रतिशत रही, जो जुलाई, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। जुलाई, 2019 में यह 3.15 प्रतिशत थी।
मार्च, 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 4.83 प्रतिशत थी।
आरबीआई ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था।
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वैश्विक बाजारों में कमजोरी के रुख के बीच बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने का भाव 650 रुपये घटकर 96,850 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया।
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, पिछले बाजार सत्र में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 97,500 रुपये प्रति 10 ग्राम रही थी।
वहीं 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव बुधवार को 700 रुपये घटकर 96,400 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया। मंगलवार को यह 97,100 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा था।
अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘ व्यापार तनाव कम होने से सोने की कीमतों में गिरावट जारी है, क्योंकि प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका के साथ व्यापार समझौते कर रही हैं। चीन भी ऐसा करने वाले देशों में शामिल हो गया है जैसा कि दोनों देश एक-दूसरे के सामान पर शुल्क में 90 दिन की कटौती पर सहमत हो गए हैं।’’
दूसरी ओर, चांदी की कीमतों में लगातार तीसरे दिन गिरावट जारी रही और बुधवार को यह 1,450 रुपये घटकर 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर आ गई। इसका पिछला बंद भाव 99,450 रुपये प्रति किलोग्राम था।
मेहता ने कहा कि हालांकि, पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव अब भी कायम है जिससे सुरक्षित निवेश वाली परिसंपत्तियों को समर्थन मिल रहा है।
वैश्विक बाजारों में सोने का हाजिर भाव 20.65 डॉलर घटकर 3,229.64 डॉलर प्रति औंस रह गया।
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