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बांग्लादेश में बवाल जारी, गृह सलाहकार की टिप्पणी पर भड़के लोग, विरोध में सड़कों पर उतरे

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बार-बार आवाज उठाने के बावजूद देश में कानून-व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है और अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से स्थिति और भी खराब होती जा रही है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में गृह मामलों के सलाहकार, जहांगीर आलम चौधरी को महिलाओं पर असंवेदनशील टिप्पणी करने के कारण कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। उनकी टिप्पणी के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। 

'दुष्कर्म और उत्पीड़न के खिलाफ बांग्लादेश' के बैनर तले प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने मंगलवार को चौधरी का पुतला जलाया। गृह सलाहकार ने दो युवतियों पर हुए शारीरिक हमले को लेकर विवादित टिप्पणी की थी।

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स्थानीय मीडिया के मुताबिक, प्रदर्शनकारी घटनास्थल पर इकट्ठा हुए और फिर संसद भवन की ओर मार्च किया। उन्होंने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से चौधरी को तुरंत हटाने की मांग की।

बता दें स्थानीय पत्रकारों ने जब गृह सलाहकार से दो युवतियों पर हुए शारीरिक हमले के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, "जितना मुझे पता है। महिलाएं धूम्रपान कर रही थीं और कुछ लोग जो प्रार्थना के लिए जा रहे थे, उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। इसके कारण उन पर चाय फेंकी गई।"

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गृह सलाहकार ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए प्रतिबंधित है। उन्होंने सभी से खुले स्थानों पर धूम्रपान न करने की अपील की।

प्रमुख बांग्लादेशी समाचार पत्र द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने गृह सलाहकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बांग्लादेश में बलात्कार, हत्या, भीड़ हिंसा और नैतिक पुलिसिंग के मामले बढ़ रहे हैं।

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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बार-बार आवाज उठाने के बावजूद देश में कानून-व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है और अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से स्थिति और भी खराब होती जा रही है।

प्रदर्शनकारियों के पास तख्तियां थीं जिन पर नारे लिखे हुए थे - 'महिलाओं को बदनाम करना बंद करो!', 'महिलाओं के लिए कानून है, लेकिन पुरुषों के लिए कहां है?' और 'सुरक्षा सुनिश्चित करो या पद छोड़ो!'

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एक प्रदर्शनकारी ने अखबार से कहा, "हमने बलात्कार और दमन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और गृह मंत्रालय की ओर मार्च किया। फिर भी, पुलिस - [जो बलात्कारियों को गिरफ्तार करने, भीड़ को नियंत्रित करने या चोरों को पकड़ने में नाकाम रही] ने हमारे जुलूस को रोका, जिसे किसी भी कीमत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।"

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